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साहित्य-सत्कार
पुस्तक : पूर्व मध्यकाल में श्वेताम्बर सम्प्रदाय का विकास, लेखक - डॉ० रविशंकर गुप्ता, प्रकाशक- मनीष प्रकाशन, प्लाट नं० - २६, रोहित नगर कालोनी, बी०एच०यू०, वाराणसी - ५, प्रथम संस्करण - २०१४, हार्डबाउण्ड, पृ०-३०४, मूल्य - ९०० रुपये।
आठ अध्यायों में विभक्त इस ग्रन्थ में जैन धर्म के श्वेताम्बर सम्प्रदाय के विकास को निरूपित किया गया है। क्षेत्रीय दृष्टि से सातवीं से तेरहवीं शती तक हुए विकास के निरूपण को मुख्यता प्रदान की गयी है। इस पुस्तक में लेखक ने यथा स्थान छः मानचित्र तथा चार सारणियाँ प्रस्तुत कर विषय को सुगम बनाने का प्रशंसनीय प्रयास किया है। मानचित्रों के माध्यम से लेखक ने उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र के श्वेताम्बर जैन तीर्थ स्थलों को रेखांकित किया है तो सारणियों के माध्यम से 'सात निह्नव, प्रवर्त्तक, सिद्धान्त का नाम, समय एवं स्थान', 'चौबीस यक्षों का नाम, वाहन, भुजा से आयुध एवं लक्षण', 'चौबीस यक्षियों के नाम, वाहन, भुजा से आयुध एवं लक्षण' तथा चौबीस तीर्थंकरों का नाम वर्ण, लांछन सम्बन्धित यक्ष-यक्षी, जन्मस्थल एवं निर्माण स्थल को प्रस्तुत किया है।
प्रथम अध्याय परिचयात्मक है, जो दो भागों में विभाजित है। प्रथम भाग में जैन धर्म की प्राचीनता पर प्रकाश डालते हुए कालान्तर में हुए विभाजनों की चर्चा है तथा दूसरे भाग में श्वेताम्बर परम्परा के ग्रन्थों का परिचय है। लेखक ने अंग साहित्य का सामान्य परिचय दिया है जो विषय को समझने में सहायक है। द्वितीय अध्याय में तीर्थंकर महावीर के काल (छठी शताब्दी ई०पू० ) से हर्षवर्द्धन के काल (छठी - सातवीं शताब्दी ई०) तक श्वेताम्बर परम्परा के विकास का तिथिक्रमानुसार विवरण प्रस्तुत किया गया है। तृतीय अध्याय में पूर्ववर्ती अध्याय के विषय को आगे बढ़ाते हुए पूर्व मध्यकाल ( तेरहवीं शताब्दी ई०) के