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________________ 80 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 2 / अप्रैल - जून 2014 ७. जैनधर्म की प्रमुख साध्वियाँ एवं महिलाएँ - (ग्रं०मा०सं० ५७); लेखिका : डॉ० (श्रीमती) हीराबाई बोरदिया; प्रथम संस्करण १९९१; पृष्ठ : १६, ४८, ३२०; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० ३००.००। ८. जैन धर्म का यापनीय सम्प्रदाय - (ग्रं०मा०सं० ५९) (ISBN-8186715-17-7); लेखक : प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९३; पृष्ठ : ४००; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० २००.०० । ९. मध्यकालीन राजस्थान में जैन धर्म (ग्रं०मा०सं० ६१); लेखिका : डॉ॰ (श्रीमती) राजेश जैन; प्रथम संस्करण १९९२; पृष्ठ : २, ४९०; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु०३५०.००। 1 १०. महावीर निर्वाण भूमि पावा : एक विमर्श - (ग्रं०मा०सं० ६१); लेखक : भगवती प्रसाद खेतान; प्रथम संस्करण १९९२; पृष्ठ : २३४; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १५०.००। ११. सिद्धसेन दिवाकर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व - (ग्रं०मा०सं० ९५ ) (ISBN-81-86715-22-3); लेखक : डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय; प्रथम संस्करण १९९७; पृष्ठ : १०९; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १००.००। १२. तपागच्छ का इतिहास (भाग-१, खण्ड - १) - (ग्रं०मा०सं० १३४ ) (ISBN-81-86715-60-6); लेखक : डॉ० शिवप्रसाद प्रथम संस्करण २०००; पृष्ठ : १०, ३२८; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० ५००.००। १३. अचलगच्छ का इतिहास - (ग्रं०मा०सं० १३५ ) ( ISBN 81-8671561-4); लेखक : डॉ० शिवप्रसाद; प्रथम संस्करण २००१; पृष्ठ : २४, २१२; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० २५०.०० । १४. स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास - (ग्रं०मा०सं० १४० ) (ISBN81-86715-72-X); लेखक : डॉ० सागरमल जैन एवं डॉ० विजय कुमार; प्रथम संस्करण २००३; पृष्ठ : १४, ६०८; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु०५००.००। 15. POLITICAL HISTORY OF NORTHERN INDIA FROM JAINA SOURCES - (S.N. 2); by Dr. Gulab Chandra
SR No.525088
Book TitleSramana 2014 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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