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पुस्तक समीक्षा : 71 और संस्कृति, धर्म और बुद्धि, विकास, मुख्य साधन, योगविद्या, जीवन दृष्टि मां मौलिक परिवर्तन, विश्वशान्ति अने जैनधर्म, गांधी जीनू जैनधर्मने प्रदान,
और धर्म अने विद्यानु तीर्थ-वैशाली। अनुवादक स्व० डॉ० नगीन जे0 शाह जैन दर्शन के शीर्षस्थ विद्वान् रहे हैं। उनकी विद्वत्तापूर्ण भूमिका भी साथ में है। उनके जीवन की अन्तिम कृति के रूप में विद्वज्जगत् के समक्ष इस पुस्तक को प्रस्तुत करने के लिए एल0डी0 इंस्टीच्यूट आव अण्डोलॉजी के निदेशक डॉ० जीतेन्द्र बी0 शाह बधाई के पात्र हैं।
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