SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा 'प्राकृत भाषा एवं साहित्य' विषयक १५ दिवसीय (०४-०८ जनवरी, २०१४) कार्यशाला आयोजित की गई। 'प्राकृत भाषा एवं साहित्य' पर यह तीसरी कार्यशाला थी। इस कार्यशाला के प्रायोजक श्री लेखराज मेहता, सीनियर एडवोकेट, जोधपुर थे। इसका उद्घाटन ०४ जनवरी २०१४ को हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो० बिमलेन्द्र कुमार थे। इस समारोह की अध्यक्षता संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के अध्यक्ष प्रो० गोपबन्धु मिश्र ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो० बिमलेन्द्र कुमार ने कहा कि प्राकृत भाषा एक शास्त्रीय भाषा है और यह ऋग्वेद काल से भी प्राचीन है। प्राकृत जैन आगमों की भाषा है। यह प्राचीनकाल में जनभाषा रही है। प्राचीन भारतीय संस्कृति के ज्ञान, संवर्द्धन एवं संरक्षण के लिए प्राकृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है। परन्तु दुर्भाग्यवश आज तक भारत सरकार द्वारा इसे शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता नहीं दी गयी है और न ही विद्वत् वर्ग द्वारा इस सम्बन्ध में कोई सार्थक प्रयास किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में प्रो० बिमलेन्द्र कुमार ने प्राकृत भाषा के ऐतिहासिक महत्त्व एवं संवैधानिक स्थिति को रेखांकित करने का प्रयास किया। प्रो० कुमार ने मानव संसाधान विकास मंत्रालय द्वारा प्राकृत एवं पालि के उत्थान के लिए किये जा रहे प्रयास एवं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पालि एवं प्राकृत के अध्ययन-अध्यापन की स्थिाति को स्पष्ट करने का प्रयास किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो० गोपबन्धु मिश्र ने कहा कि प्राकृत और संस्कृत मूलत: विशेषण हैं। हमारा जीवन संस्कृत है और हम मूलतः प्राकृत है। प्राकृत और संस्कृत का अन्वय अनादि है और यह स्वाभाविक है। वेदों में प्राकृत भाषा के शब्दों का विद्यमान होना इसकी महत्ता को दर्शाता है।
SR No.525087
Book TitleSramana 2014 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy