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________________ 8 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 1/जनवरी-मार्च 2014 अवस्था का भी पता चलता है। हंस को चीरकर साफ कर उसके उदर में दवाइयां भरकर तेल में पकाने से प्राप्त तेल को 'हंसतेल' कहा जाता था।६४ इसी प्रकार मरु प्रदेश के पर्वतीय वृक्षों से प्राप्त तेल ‘मरुतेल' कहा जाता था। ज्ञाताधर्मकथांग से ज्ञात होता है कि चन्दन का भी तेल बनता था जिसे दर्दर मिट्टी के घड़े में रखकर अग्नि में पकाया जाता था।६५ यह तेल अत्यन्त सुगंधित और गुणकारी होता था। खाण्ड उद्योग : जैन उल्लेख से खांड उद्योग की उन्नतता का पता चलता है। आचारांगसूत्र से गन्ने की खेती का ज्ञान होता है।६६ गन्ने की खेती प्रचुर मात्रा में होती थी जिससे गुड़, खांड और राब का निर्माण होता था।६७ गुड़ और शक्कर का निर्माण आर्थिक जीवन में महत्त्वपूर्ण अंग थे। जहाँ गन्ने का संग्रह किया जाता था उसे 'उच्छघर' अथवा 'इक्षुगृह' कहा जाता था।६८ दशपुर में इक्षुगृह में आचार्य ठहरते थे। गुड़ बनाने के स्थान को 'इक्खुवाड़े कहा गया है।६९ इक्षुगृह में गन्नों को काट-छाँट कर 'इक्षुयंत्र (इक्खुजत)° से पेरकर रस निकाला जाता था। रस को उबालकर गुड़ निर्मित किया जाता था।७१ गुड़ के अतिरिक्त खाण्ड; काल्पी (मिश्री), चीनी तथा चीनी से अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण होता था। भारत से विदेशों को चीनी निर्यात भी किया जाता था। भारतीय व्यापारी कालका द्वीप में अन्य वस्तुओं के साथ चीनी भी लेकर गये थे।७२ प्रसाधन उद्योग : शृंगारप्रियता तथा विलास प्रियता होने के कारण प्रसाधन उद्योग उन्नति पर था। सामान्यजन से लेकर समृद्ध लोग तक प्रसाधन का उपयोग करते थे। ज्ञाताधर्मकथांग और प्रश्नव्याकरणसूत्र में चन्दन, कपूर, चम्मा, दमकन, तगर, इलाइची, कुंकुम, जूही, कस्तूरी, लवंग, तुरुष्क, अगर, केतकी, केसर, मेरुआ, स्नान मालिका, नव मालिका, धूप आदि का सुगंधित द्रव्यों के रूप में उल्लेख आया है।७३ सूत्रकृतांगसूत्र में से स्त्रियों के अंगराग, रंग, सूरमा तथा सौन्दर्य बढ़ाने हेतु गुटिका बनाये जाने का उल्लेख है। चित्र उद्योग : हमारे समाज में चित्रकला का सदैव से ही एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीनकाल में चित्रकार अपनी कला का प्रदर्शन भवनों, रथों, वस्त्रों, बर्तन आदि पर किया करते थे। ज्ञाताधर्मकथांग से ज्ञात होता है कि
SR No.525087
Book TitleSramana 2014 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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