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8 : श्रमण, वर्ष ६४, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर २०१३
पर भी सम्पूर्ण दृश्यावली तीन आयतों में विभक्त है । शान्तिनाथ मन्दिर के उदाहरण से अलग यहाँ कथांकन का प्रारम्भ शान्ति के माता-पिता की वार्तालाप करती आकृतियों से हुआ है, अर्थात् इस उदाहरण में मेघरथ की कथा का अंकन नहीं हुआ है। शेष कथांकन उपरोक्त उदाहरण की भांति चक्रवर्ती शांतिनाथ तक यथावत है। २० परन्तु महावीर मन्दिर के इस दृश्यांकन में सभी आकृतियों के नीचे उनकी पहचान से सम्बन्धित अभिलेख उत्कीर्ण है। यहाँ चक्रवर्ती पद प्राप्त करने से पूर्व विभिन्न युद्धों के लिए शान्ति के प्रस्थान और दीक्षा के पश्चात् केश- लुंचन का शिल्पांकन हुआ है जबकि शान्तिनाथ मन्दिर में ऐसे दृश्य नहीं दिखाये गये हैं। इसी प्रकार आगे शान्तिनाथ की कायोत्सर्ग और ध्यानमुद्रा में उत्कीर्ण आकृतियां उनकी तपस्या और कैवल्य-प्राप्ति का समवेत निरूपण करती हैं। यह भी शान्तिनाथ मन्दिर के उदाहरण से अलग है। आगे पूर्व में वर्णित उदाहरण की भांति समवसरण का दृश्य और उसके ऊपर शान्तिनाथ की ध्यानस्थ आकृति उत्कीर्ण है।
विमल-वसही (माउण्ट आबू, दिलवाड़ा, राजस्थान, १२वीं शती ई०) की देवकुलिका संख्या १२ कि वितान पर शान्तिनाथ के पंचकल्याणकों का शिल्पांकन कुम्भारिया के शांतिनाथ मन्दिर के समान ही है। २१ यहाँ भी कथा का प्रारम्भ मेघरथ के स्वयं के शरीर के मांस के दान से होता है, जिसमें तुला पर एक ओर छद्म रूप में
Abu: Vimalavasah, devakulika 12, samatala ceiling (A) showing
life scenes of Santinatha