________________
6 : श्रमण, वर्ष ६४, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर २०१३
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि महाभारत की महाराज शिवि की कथा, जैन ग्रन्थों (हेमचन्द्र कृत त्रि० श०पु०च०, भावचन्द्र कृत श्री शान्तिनाथ चरित्र एवं अजितप्रभ कृत श्री शान्तिनाथ चरित) में वर्णित शान्तिनाथ के पूर्वभव से सम्बन्धित मेघरथ की कथा से पूर्ववर्ती है। वस्तुतः इस प्रकरण की कथा राज धर्म, मानव धर्म और अहिंसा के व्यापक परिप्रेक्ष्य में भारतीय आदर्श मूल्यों की निरन्तरता और सर्व स्वीकृति की सूचक है।
शान्तिनाथ के जीवन-दृश्यों के शिल्पांकन का विस्तृत उल्लेख मुनि जयन्त विजय एवं गुरुवर प्रो० मारुति नन्दन तिवारी ने पुस्तकों में किया है । १८ मैने इस सामग्री का कुछ विशिष्ट दृश्यांकनों एवं तुलनात्मक अध्ययन की दृष्टि से ही उपयोग किया है। शान्तिनाथ के जीवन-दृश्यों का अंकन मुख्यतया कुम्भारिया स्थित शान्तिनाथ एवं महावीर मन्दिरों तथा दिलवाड़ा स्थित विमल वसही के जैन मन्दिर के भ्रमिका वितानों पर हुआ है। तीनों ही उदाहरण श्वेताम्बर परम्परा से सम्बन्धित हैं और उनका अंकन श्वेताम्बर ग्रन्थ त्रि० श०पु०च० में वर्णित कथा के अनुरूप हुआ है। उल्लेखनीय है कि शान्तिनाथ के जीवन से सम्बन्धित मेघरथ के कथानक और कथात्मक अंकन न तो दिगम्बर कला-केन्द्रों और न ही दिगम्बर परम्परा के शास्त्रों में प्राप्त होते हैं।
कुम्भारिया (बनासकाठा, गुजरात) के शान्तिनाथ मन्दिर (११वीं शती ई०) के शान्तिनाथ से सम्बन्धित जीवन-दृश्यों के सम्पूर्ण
Patatatatatatatal