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________________ जैन कला और परम्परा की दृष्टि से काशी का वैशिष्ट्य : 3 तिथियों (१०वीं से १६वीं शती ई. के मध्य ) से भी कल्पप्रदीप के सन्दर्भ की पुष्टि होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस स्थल पर ११वीं - १२वीं शती ई. में विशाल पार्श्वनाथ मन्दिर का निर्माण हुआ था। कल्पप्रदीप की एक अन्य महत्त्वपूर्ण सूचना के अनुसार देव-वाराणसी में, जहां विश्वनाथ का मन्दिर था, २४ तीर्थङ्करों का सामूहिक अंकन करने वाले पट्ट (चतुर्विंशति - जिन पट्ट) की भी पूजा होती थी । बनारसीदास ने अपनी आत्मकथा अर्द्धकथानक ( १७वीं शती ई.) में भी बनारस स्थित पार्श्वनाथ मन्दिर का उल्लेख किया है। सारनाथ स्थित श्रेयांसनाथ मन्दिर और चन्द्रपुरी के चन्द्रप्रभ मन्दिर के अतिरिक्त काशी के अन्य सभी जैन मन्दिर सुपार्श्वनाथ और पार्श्वनाथ तीर्थङ्करों को ही समर्पित हैं। काशी के सभी उपलब्ध जैन मन्दिर १८वीं से २०वीं शती के मध्य के हैं । नागर शैली के मन्दिर, सम्मुख योजना में अर्धमंडप, मंडप और गर्भगृह से युक्त हैं। गर्भगृह में सामान्यतः मुख्य तीर्थङ्कर मूर्ति के अतिरिक्त अन्य कई तीर्थङ्करों की भी मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। तीर्थङ्कर मूर्तियां सामान्यतः गर्भगृह में बनीं स्वतन्त्र वेदियों पर स्थापित हैं । इनमें अधिकांशतः तीर्थङ्करों के साथ पार्श्ववर्ती आकृतियों का अंकन नहीं हुआ है । सुपार्श्वनाथ को समर्पित तीन मंदिर (एक श्वेताम्बर और दो दिगम्बर) भदैनी मुहल्ले में गंगा तट पर स्थित हैं। श्वेताम्बर मन्दिर विक्रम सं. १८२५ (१७६८ई.) का है, जिसे शाहगोवर्धन के पुत्र सर्वपद सूरि ने बनवाया था जबकि दिगम्बर मन्दिर विक्रम सं. १९१२ (१८५५ई.) में गणेशी लाल के पुत्रों द्वारा बनवाया गया था, एक दिगम्बर मन्दिर स्याद्वाद महाविद्यालय में भी है। पार्श्वनाथ मन्दिर मैदागिन, गोलघर, भेलूपुर, खोजवां और रामघाट में हैं । नरिया में तीर्थङ्कर महावीर का प्रमुख मन्दिर है। मैदागिन का दिगम्बर मन्दिर लगभग १२५ वर्ष पूर्व बिहारीलाल जैन ने बनवाया था। गोलघर का दिगम्बर मन्दिर पंचायत मन्दिर है । खोजवां, नरिया, भेलूपुर, के मन्दिर भी दिगम्बर सम्प्रदाय के हैं । रामघाट का मन्दिर श्वेताम्बर मन्दिर है । भेलूपुर में पार्श्वनाथ के तीन मन्दिर हैं, जिनमें से दो दिगम्बर और एक श्वेताम्बर परम्परा का है। दिगम्बर मन्दिरों में एक विक्रम सं. १९२५ (१८६८ई.) का है, जिसका निर्माण वाराणसी के खड्गसेन उदयराज ने भेलूपुर में करवाया था । 1 काशी में भेलूपुर स्थित श्वेताम्बर जैन मन्दिर परिसर में २००० ई. में पार्श्वनाथ को समर्पित एक नये और विशाल श्वेताम्बर मन्दिर का निर्माण हुआ। स्थापत्य, मूर्तिशिल्प और प्रतिमालक्षण की दृष्टि से यह मन्दिर १०वीं से १५वीं शती ई. के बीच के गुजरात और राजस्थान के श्वेताम्बर मन्दिरों, मूर्तियों और उनके लक्षणों के प्रभाव को दर्शाता है। गर्भगृह, गूढ़मण्डप, रंगमण्डप, और त्रिक्मण्डप से युक्त मन्दिर
SR No.525083
Book TitleSramana 2013 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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