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________________ 32 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 4 / अक्टूबर-दिसम्बर 2012 अत्यधिक सरलता से निकल जाते हैं, ऐसी मान्यता है। परन्तु दक्षिण दिशा का स्वामी यम प्राण हरण करता है यह बात युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होती है। इसका कोई अन्य कारण अवश्य होगा। नैऋत्य दिशा दक्षिण और पश्चिम के मध्य की विदिशा को नैऋत्य विदिशा कहते हैं। वैदिकों में नैऋत्य दिशा का स्वामी निऋति माना गया है जिसका संस्कृत अर्थ क्षय या विनाश होता है। यह दिशा दक्षिण पश्चिम हवाओं के कारण से सदैव विनाश को प्राप्त होती है। नैऋत्य दिशा में त्रायस्त्रिंश जाति के देव एवं परिषद् जाति के देवों के निवास स्थान हैं। पश्चिम दिशा पश्चिम का अर्थ है पश्चभाग अर्थात् पूर्व दिशा के पीछे का भाग पश्चिम कहलाता है। इसका स्वामी वरुण है। इसका स्वभाव चंचल है। तिलोयपण्णत्तीकार ने पश्चिम दिशा के विषय में कहा है कि पाण्डुक वन के मध्य में चूलिका के पास पश्चिम दिशा में पूर्वोक्त भवन के सदृश व्यासादि सहित हारिद्र नामक प्रासाद है। उस प्रासाद में सदैव कुछ कम तीन पल्य प्रमाण आयु का धारक जलप्रभ नामक विमान का प्रभु वरुण नामक लोकपाल रहता है। जलप्रभ विमान के परिवार विमान 6 लाख 66 हजार 666 हैं। वायव्य दिशा पश्चिम दिशा और उत्तर दिशा के मध्य का भाग वायव्य विदिशा कहलाती है। यह वायुकुमार देवों के इन प्रभंजन कुमार का निवास स्थल है जो उत्तरेन्द्र है। इसके 46 लाख भवन हैं। वायुकुमार देवों की प्रकृति अनुमानतः वायुकारक है तथा प्राकृतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उत्तरी पश्चिम हवाओं का प्रकोप सदैव बना रहता है जिससे वायु का दबाव इस दिशा में अधिक होता है। तिलोयपण्णत्तीकार ने सौधर्म स्वर्ग के वायव्य कोण में सामानिक देवों का निवास बताया है। उत्तर दिशा उत्तर दिशा सभी फलों को देने वाली सुखदायी दिशा है। इसका स्वामी कुबेर होता है। जो लोक व्यवहार में धन का देवता माना गया है। उत्तर दिशा में ही जैनमत के अनुसार विदेह क्षेत्र विद्यमान है। जहाँ सदैव तीर्थंकर विद्यमान रहते हैं। तिलोयपण्णत्ती में उत्तर दिशा के विषय में वर्णन करते हुए कहा गया है कि उस पाण्डुक वन के मध्य में चूलिका के पास उत्तर विभाग में पूर्वोक्त भवन के सदृश विस्तार वाला पाण्डुक नामक प्रासाद है। उस उत्तम प्रासाद में कुछ कम
SR No.525082
Book TitleSramana 2012 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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