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________________ पूर्व मध्यकालीन राजस्थान में श्वेताम्बर सम्प्रदाय का विकास : 5 के पास चित्तौड़ भेज दिया, जिन्होंने तुरन्त सन्तोषप्रद हल निकाल दिया। जब जिनवल्लभ सूरि मालवा नगरी आए तो राजा नरवर्मन ने उनको राजमहल में आमंत्रित किया तथा उनके धार्मिक प्रवचनों को ध्यानपूर्वक सुना। राजा उनकी विद्वत्ता से इतना प्रसन्न हुआ कि आचार्य को तीन गाँव या 30 हजार द्रमदान देने की इच्छा व्यक्त की, किन्तु आचार्य ने इनमें से किसी को स्वीकार नहीं किया। सूरि जी के उपदेशों से प्रभावित होकर नरवर्मन ने चित्तौड की मंडपिका से वहाँ के खरतरगच्छ के मन्दिरों के देखभाल के लिए प्रतिदिन दो द्रम दिए जाने के आदेश दिए। श्वेताम्बर सम्प्रदाय के प्रति वागड़ शाखा भी समर्पित थी। अभृणा के जैन मन्दिर की 1109ई0 की प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि इस समय वागड़ क्षेत्र परमारों के अधीन था।7 यह अभिलेख माण्डलिक चामुण्डराज तथा उसके पुत्र विजयराज के बारे में बताता है। अभिलेख में एक जैन मन्दिर के बारे में वर्णन है। इस जैन मन्दिर की स्थापना 1109ई0 में अथूणा नामक नगर में हुई थी। इस अभिलेख में तलपाटक नामक नगर में निवास करने वाले एक जैन परिवार का सविस्तार वर्णन है। इस परिवार के वंशजों ने ऋषभनाथ के मन्दिर का निर्माण कराया था। इस परिवार का एक सदस्य 'पाहुक' शास्त्रों के ज्ञान में निपुण था। बाद में वह एक संन्यासी हो गया। राजपूताना म्यूजियम के एक मूर्तिलेख (994ई0) में 'जयति श्री वागट संघ' उल्लिखित है। इस प्रकार दसवीं शताब्दी में वागड़ क्षेत्र में श्वेताम्बर सम्प्रदाय का काफी प्रचार था। परमार वंश की एक शाखा किराड़ हुई थी। यह राजस्थान के जोधपुर में स्थित थी। एक अभिलेख से सूचना मिलती है कि इस वंश का अन्तिम राजा सोमेश्वर परमार था, जो चौलुक्य कुमारपाल के अधीन तालुकेदार था। अभिलेख के प्रारम्भ में 'ओम् नमः सर्वज्ञः' उत्कीर्ण है। इसी कारण कुछ लोग इसे जैन अभिलेख बताते हैं लेकिन यह प्रमाणित नहीं है। कुमारपाल जैन धर्म के भद्र एवं अनुयायी राजा के रूप में जाना जाता था। चूँकि सोमेश्वर राजा कुमारपाल के अधीनस्थ था, अतः वह अपने राजा के विपरीत भाव जैन धर्म के प्रति नहीं रखता होगा। यही बात परमार वंश के अन्य राजाओं के बारे में भी सत्य प्रतीत होती है क्योंकि वे सभी चौलुक्य सम्राट के अधीनस्थ शासक थे। उपर्युक्त विवरण परमारकालीन राजस्थान में श्वेताम्बर सम्प्रदाय की विकासमान स्थिति को दर्शाते हैं।
SR No.525082
Book TitleSramana 2012 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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