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________________ प्राकृतकथा वाङ्मय में निहित वैश्विक संदेश : 27 सव्वभूएस संजमो। मन, वचन और काय से संयमी व्यक्ति स्व-पर का रक्षक तथा मानवीय गुणों का खान होता है। शील, संयमादि गुणों से पूर्ण व्यक्ति ही सत्पुरुष है। जिसका चित्त मलीन व पापों से दूषित रहता है, वह अहिंसा का पालन करने वाला नहीं हो सकता। जिस प्रकार घिसना, छेदना, तपाना और रगड़ना इन चार उपायों से स्वर्ण की परीक्षा की जाती है उसी प्रकार श्रुत, शील, तप और दया रूप गुणों के द्वारा धर्म एवं व्यक्ति की परीक्षा की जाती है। संजमु सील सउच्चु तवु सूरि हि गुरु सोई। दाह छेदक संघायकसु उत्तम कंचण होई॥ संयम जीवन का सर्वांगीण विकास करना संयम का परम उद्देश्य रहता है। सूत्रकृतांग में इस उद्देश्य को एक रूपक के माध्यम से बताया गया है। कहा गया है कि जिस प्रकार कछुआ निर्भय स्थान पर निर्भीक होकर चलता-फिरता है, किन्तु भय विमुक्त होने पर पुनः अंग-प्रत्यंग फैलाकर चलना-फिरना प्रारम्भ कर देता है, उसी प्रकार संयमी व्यक्ति अपने साधनामार्ग पर बड़ी सतर्कतापूर्वक चलता है। संयम की विराधना का भय उपस्थित हो जाने पर वह पञ्चेन्द्रियों व मन को आत्मज्ञान में ही गोपन कर लेता है।" संयमी व्यक्ति सदैव इस बात का प्रयत्न करता है कि दूसरे के प्रति वह ऐसा व्यवहार करे जो स्वयं को अनुकूल लगता हो। तदर्थ उसे मैत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ भावना का पोषक होना चाहिए। सभी सुखी ओर निरोग रहें, किसी को किसी भी प्रकार का कष्ट न हो, ऐसा प्रयत्न करें। सर्वेऽपि सुखिनः सन्तु सन्तु सर्वे निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखमाप्नुयात्। मा कर्षित् कोऽपि पापानि मा च भूत् कोऽपि दुःखितः। मुच्यतां जगदप्येषा मतिमैत्री निगद्यते॥ विशिष्ट ज्ञानी और तपस्वियों के शम, दम, धैर्य, गाम्भीर्य आदि गुणों में पक्षपात करना अर्थात् विनय, वन्दना, स्तुति आदि द्वारा आन्तरिक हर्ष व्यक्त करना प्रमोद भावना है।" इस भावना का मूल साधन विनय है। जिस प्रकार मूल के बिना स्कन्ध, शाखायें, प्रशाखायें, पत्ते, पुष्प, फल आदि नहीं हो सकते, उसी प्रकार विनय के बिना धर्म व प्रमोद भावना मे स्थैर्य नहीं रह सकता।३० क्षमा कार्तिकेयानुप्रेक्षा में देव, मनुष्य और तिर्यञ्चों द्वारा घोर व भयानक उपसर्ग
SR No.525081
Book TitleSramana 2012 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size11 MB
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