SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 24 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 3 / जुलाई-सितम्बर 2012 की वैश्विक संदेश का समर्थन करती हुई प्रतीत होती हैं। अन्तकृद्दशासूत्र आगम के कथानक भौतिकता पर आध्यात्मिक विजय का संदेश प्रदान करते हैं। प्रायः सभी कथानकों में तप की उत्कृष्ट साधना का विवेचन किया गया है। आख्यानक साहित्य की दृष्टि से उत्तराध्ययन सूत्र महत्त्वपूर्ण आगम ग्रंथ है। इस आगम ग्रंथ की गणना मूलसूत्रों के अन्तर्गत की जाती है। इस कथाग्रंथ को तीर्थकर महावीर की अन्तिम देशना के रूप में स्वीकार किया गया है। उत्तराध्ययन में 36 अध्ययन हैं जिनमें धर्म, दर्शन, ज्ञान, चारित्र आदि की निर्मल धाराएं प्रवाहित हैं। ये आख्यानक जहां एक ओर धर्मतत्त्व का प्रतिपादन करते हैं, वहीं दूसरी ओर तत्कालीन सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं को भी प्रकाशित करते हैं। अर्द्धमागधी आगम साहित्य के अतिरिक्त उपलब्ध शौरसेनी साहित्य में भी अनेक कथानकों के उल्लेख हैं। इस सम्पूर्ण साहित्य में कर्मसिद्धान्त एवं दर्शन निरूपण में कथानकों के बीज यत्र-तत्र प्राप्त हो जाते हैं। आचार्य कुन्दकुन्द के भावपाहुड़ में बाहुबली, मधुपिंग, वशिष्ठमुनि, शिवभूति, बाहु, द्वीपायन, शिवकुमार, भव्यसेन आदि भावपूर्ण कथानकों के उल्लेख प्राप्त होते हैं। तिलोयपत्ति में 63 शलाकापुरुषों के संबंध में मूलभूत प्रामाणिक सामग्री प्राप्त होती है। अर्धमागधी और शौरसेनी प्राकृत के निबद्ध आगम-साहित्य में कथाएँ सूत्रशैली में उपलब्ध होती हैं और इन आगम-कथाओं का पूर्ण विकास नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि और टीका-साहित्य में हुआ है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि आगमयुगीन कथाओं का लक्ष्य शुद्ध मनोरंजन न होकर मानव का नैतिक आध्यात्मिक कल्याण ही रहा है। ये समस्त कथाएँ धर्म-दर्शन सम्बन्धी किसी सिद्धान्त को दृष्टान्त के रूप में प्रस्तुत करती हैं। इनकी प्रकृति उपदेशात्मक है इसीलिए कथानकों का वातावरण एवं परिवेश धार्मिक स्थानों, व्यक्तियों एवं कथोपकथनों से ओतप्रोत है। निःसंदेह आगमयुगीन कथाएँ अपने समय के धार्मिक नियमों का विवेचन करने में सक्षम हैं। आगम साहित्य में उपलब्ध कथाएँ धार्मिक वातावरण के कारण कहीं-कहीं बोझिल प्रतीत होती हैं, किन्तु आगमों पर लिखे गये व्याख्या-साहित्य में कथा-साहित्य और भी अधिक पुष्पित व पल्लवित हुआ है। नियुक्तियों व चूर्णियों में ऐतिहासिक, धार्मिक, लौकिक आदि कई प्रकार की कथाएँ उपलब्ध हैं। सूत्रकृतांगचूर्णि में आर्द्रककुमार, अर्थलोभी वणिक् आदि के सुन्दर कथानक
SR No.525081
Book TitleSramana 2012 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy