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________________ 16 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 3 / जुलाई-सितम्बर 2012 'इष्टस्थाने धरति इति धर्मः' इस निरुक्ति के अनुसार जो जीव को संसार दुःख से निकलकर अभीष्ट पद में प्राप्त कराता है, उसे धर्म कहा जाता है। कर्मो के उपशान्त होने से प्राप्त हुई द्रव्य, क्षेत्र, काल भावरूप सामग्री के द्वारा अनन्तचतुष्टयरूप स्वास्थ्य का लाभ होता है। इस अवस्था में एकमात्र ध्यानमुद्रा ही शेष रहती है, शेष सब विकल्प छूट जाते हैं। अब यह आत्मा अपने आपको अपने द्वारा ही संसाररूप गर्त से निकालकर मोक्ष में पहुँचा देता है। इसलिए उपर्युक्त निरुक्ति के अनुसार वास्तव में आत्मा का नाम ही धर्म है, उसे छोड़कर अन्य कोई धर्म नहीं हो सकता। उप्पण्णोदयभोगी, विओगबुद्धीए तस्य सो णिच्च। कंखामणागयस्स य, उदयस्स ण कुव्वए णाणी अर्थात् ज्ञानी जीव के वर्तमानकालीन उदय का भोग निरन्तर वियोगबुद्धि से उपलक्षित रहता है अर्थात् वर्तमान भोग को नश्वर समझकर वह उसमें परिग्रहबुद्धि नहीं करता और अनागत भविष्यत्कालीन भोग की वह आकांक्षा नहीं करता। भोग तीन प्रकार का है- 1. अतीत, 2. वर्तमान और 3. अनागत। उनमें जो अतीत हो चुका है उसमें परिग्रह बुद्धि होना शक्य नहीं है। वर्तमान भोग को ज्ञानी जीव वियुक्त हो जाने वाला मानता है इसलिए उसमें परिग्रह भाव धारण नहीं करता तथा अनागतभोग में आकांक्षारहित होता है इसलिए तत्सम्बन्धी परिग्रह भी उसके संभव नहीं है। इस प्रकार स्वसंवेदन ज्ञानी जीव निष्परिग्रही है यह बात सिद्ध होती है। जो वेददि वेदिज्जदि, समए-समए विणस्सदे उहयं। तं जाणगो दु णाणी, उभयं पि ण कंखइ कयावि। अर्थात् जो वेदन करता है और जिसका वेदन किया जाता है वे दोनों भाव समय समय में नष्ट होते रहते हैं अर्थात् वेद्य-वेदक भाव क्रम से होते हैं, अतः एक समय में अधिक देर तक अवस्थित नहीं रहते। ज्ञानी जीव उन दोनों भावों को जानने वाला है, वह उनकी कभी भी आकांक्षा नहीं करता है। बंधुवभोगणिमित्ते, अज्झवसाणोदएसु, णाणिस्स। संसारदेहविसएसु, णेव उप्पज्जदे रागो22 अर्थात् बंध और उपभोग के निमित्तभूत, संसार और शरीर विषयक अध्यवसान के जो उदय हैं उसमें ज्ञानी जीव के राग उत्पन्न नहीं होता है।
SR No.525081
Book TitleSramana 2012 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size11 MB
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