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6 : श्रमण, वर्ष 63, अंक 2 / अप्रैल-जून 2012 7. लेहिया (हस्तलिपिकार) द्वारा लिखते समय वर्ण-क्रम-परिवर्तनहस्तलिपिकार द्वारा पाण्डुलिपि की अनुकृति करते समय वर्णो के क्रम में परिवर्तन भी पाण्डुलिपियों में पाठभेद का कारण बनता हैअसिणाइ -अणिसाती, अणिस्साती सामे- मासे चावोण्णतं- वाचोण्णत'5 लज्ज- जल्ल" नायगं- णागयं” पसत्थारं- सपत्थारं अणवतग्गं- अणतवग्गं" विणीताए - विणीयातो, विणियाता 8. प्राकृत भाषा में संख्यावाचक शब्दों के रूपों की बहुलता-प्राकृत भाषा में एक संख्या के कई-कई रूपों का होना भी पाठ- भेद का कारण बनता हैएका-एक्का बितियातो-बीयाओ:2 बितिए- बीए चोद्दसमे- चउद्दसमे अट्ठादस- अट्ठारस एक्कतीसं- एक्कत्ती पणतीसं-पणुतीस चोयालीसं-चोतालीसं- चोत्तालीसं-चउआलीसं सत्तचत्तालीसं- सत्तयालीसं 59 चउप्पण्णं- चउवन्न तेवट्ठीए- तेवट्ठी,तेवट्ठिा चउसट्ठिा सत्तसटिं- सत्तट्ठि, एकूणसत्तरिं- एगूणसत्तरिंग सत्तरीए-सत्तरीएहि एकसत्तरीए- एकसत्तरी छावत्तरि- छावत्तरिमो” अट्ठहत्तरे- अट्ठसत्ततरे, अट्ठसत्तरि अट्ठत्तरीए, अट्ठसत्तरीए", एकूणासीतिं. एगूणासिं, एगूणासीति, एगूणासीइ” , असीति- असीति असीउत्तरं- आसीउत्तरं । बासीए- बासीतीए, बासी, बासीइ2 तेयासीइमे- तेरासितीमे- तेरासीतिम