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________________ कहकोसु (कथाकोश) में वर्णित राजनैतिक चिंतन : ६५ व्यापार हो सके, खानों तथा अन्य वस्तुओं की भरमार हो, पशुपालन हो सके, प्रचुर जल हो, सुसंस्कृत व्यक्ति रहते हों, जंगल हों, जल-स्थल के मार्ग हों एवं जहाँ केवल वर्षा के जल पर निर्भर न रहना पड़े।२१ प्रत्येक राज्य जनपदों में विभक्त थे जनपद नगर, ग्राम, पुर, खेत तथा खर्वट में विभक्त था। प्राचीन भारत में सुरक्षा की दृष्टि से दुर्ग की विशेष महत्ता थी। शत्रुभय तो स्वभाविक ही था। उससे बचने के साधन दुर्ग ही थे क्योंकि दुर्गों में अपार धन, अन्न-राशि और जीवन की उपयोगी अन्य वस्तुओं को सुलभतापूर्वक गुप्त रखा जा सकता था। दुर्गों के माध्यम से राजा को अपनी सुरक्षा, प्रजा और कोष की रक्षा भी हो जाती थी। अतएव यह आवश्यक समझा जाता था कि दुर्ग, जो आरक्षण प्रदान करते हैं, उन्हें भी आरक्षित स्थानों पर ही बनाया जाए। कहकोसु में उल्लेख आता है कि राजा हरिषेण ने दिग्विजय के समय पर्वतीय दुर्गों को लांघा जिससे प्रतीत होता है कि दुर्ग नगर की सीमा पर पर्वतीय क्षेत्र में बनाये जाते थे।२२ इन दुर्गों को राजा के मित्रों की संज्ञा दी जाती थी क्योंकि ये राजा तथा राज्य के सब अंगों को अपने अंचल में छिपा उनकी रक्षा करते थे। कोश राष्ट्र रक्षा के साधनों में कोश का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बिना धन के राजा के सामने अनेक विपत्तियाँ आ जाती थीं। जिस प्रकार पानी के अभाव में गर्मी में नदी के सूख जाने से सम्पूर्ण हरियाली नष्ट हो जाती है उसी प्रकार धन का प्रवाह रुक जाने से राष्ट्र की खुशहाली समाप्त हो जाती थी। कहकोसु में वात्सल्य अंग की कथा में चारों मंत्रियों द्वारा राजा पद्म के कोश का दान करने से यह ज्ञात होता है कि प्राचीन समय में कोश एकत्र किया जाता था तथा समय आने पर उस कोश का सदुपयोग किया जाता था।२३ पुरोहित राज्य की रक्षा तथा धार्मिक कार्यों के सम्पादन के लिए पुरोहित का होना आवश्यक माना जाता था। शुक्रनीति में कहा गया है कि मन्त्र और अनुष्ठान में सम्पन्न वेदत्रयी का ज्ञाता, कर्म-तत्पर, जितेन्द्रिय, जितक्रोध, लोभ तथा मोह से रहित, वेदों के षडंगो का ज्ञाता, धनुर्विद्या तथा धर्म का ज्ञाता स्व तथा पर राष्ट्रनीति का अभिज्ञ पुरोहित होता है।२४ राजा के १४ रत्नों में से एक रत्न पुरोहित था।
SR No.525078
Book TitleSramana 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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