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Contents
iv
Our Contributors सम्पादकीय (कालचक्र और ऋषभदेव)
v-vi
भारतीय चिन्तन में मोक्ष तत्त्व : एक समीक्षा १-८ प्रो० सुदर्शन लाल जैन जैन दर्शन में काल का स्वरूप
९-२८ प्रो० धर्मचन्द जैन वैदिक एवं जैन परम्परा में द्रौपदी कथानक : उद्भव एवं विकास
२९-३६ डॉ० शीला सिंह जैन दर्शन में प्रमेय का स्वरूप एवं उसकी सिद्धि ३७-४९
डॉ० राहुल कुमार सिंह 5. परीक्षामुख में प्रमाण-लक्षण निरूपण : एक अध्ययन
५०-५८ डॉ० नवीन कुमार श्रीवास्तव कहकोसु (कथाकोश) में वर्णित राजनैतिक चिंतन ५९-७१ डॉ. (श्रीमती) दर्शना जैन जैनागमों में स्वप्न-विज्ञान
७२-७८ कु० मञ्जू जैन Aparigraha as Reflected in Jaina Art ७९-८८ Prof. Maruti Nandan Prasad Tiwari Tolerance in Jaina Religion: Through the Ages
८९-१०९ Dr. Ashok Kumar Singh
स्थायी स्तम्भ जिज्ञासा और समाधान पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार जैन जगत् साभार प्राप्ति Advertisement
११०-११२ ११३-११७ ११८-१२०
१२१ १२२