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________________ अङ्ग साहित्य में वर्णित पारिवारिक व्यवस्था का स्वरूप : ५७ दासियों की भाँति घरों में धायमाता या धात्रियाँ भी रहती थीं जिन्हें दाई भी कहा जाता है। प्रायः ये सम्पन्न परिवार में नवजात शिशुओं के पालन-पोषण, संरक्षण, संवर्द्धन एवं विकास हेतु रखी जाती थीं। ये पाँच कोटियों में विभक्त थीं- (१) क्षीरधात्री, (२) मण्डनधात्री, (३) भज्जनधात्री, (४) अंबधात्री तथा (५) क्रीडाधात्री। इनकी स्थिति भी संतोषजनक होती थी। ये बाल्यावस्था से युवावस्था तक बच्चों का उनकी माताओं की भाँति ख्याल रखती थीं। अङ्ग साहित्य में कुछ ऐसे प्रसङ्ग भी मिलते हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि इनकी स्थिति माताओं की भाँति होती थी। उदाहरण के लिए मेघकुमार की प्रव्रज्या के समय मेघकुमार की माँ के साथसाथ उसकी धायमाता भी रजोहरण व पात्र लेकर शिविका पर आरूढ़ होकर मेघकुमार के बायें पार्श्व में बैठ जाती है। सगे-सम्बन्धी जैन अङ्ग साहित्य के अनुसार संयुक्त परिवार के अन्तर्गत मित्र व सगे-सम्बन्धी भी आते थे२८। पारिवारिक सदस्यों की भाँति वे परिवार में रहते हुए विभिन्न आयोजनों के सहभागी होते थे जिसमें उन्हें सम्मानित कर विशेष व्यंजनों का पान कराया जाता था। उपर्युक्त प्रसङ्गों से यह प्रमाणित होता है कि जैन संस्कृति में पारिवारिक व्यवस्था उच्चकोटि की होती थी। सभी सदस्यों के मध्य प्रेम, सम्मान, अनुशासन का भाव था जो किसी भी पारिवारिक संस्था हेतु आवश्यक होता है। छोटे से लेकर बड़े सभी को सम्मानजनक स्थान प्राप्त था। इस प्रकार जैन अङ्ग आगमों में वर्णित संयुक्त परिवार का प्रत्यय आधुनिक समाज के लिए भी प्रेरणास्पद है। - सन्दर्भ सूची जगदीश चन्द जैन, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, चौखम्भा विद्याभवन, वाराणसी, १९६५, पृ० २३४ २. विपाकसूत्र, सं० मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, राजस्थान १९८१, ३/८, पृ० ४३ ३. ज्ञाताधर्मकथा, सं० मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, राजस्थान १९८२, १/७/४, पृ० १९८ उपासकदशांग, सं० मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, राजस्थान १९८०, १/६, पृ० ११ ज्ञाताधर्मकथा, ब्यावर, पूर्वोक्त, १/१८/३७, पृ० ५०७ 3
SR No.525077
Book TitleSramana 2011 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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