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CONTENT
सम्पादकीय Parshwanath Vidyapeeth : At a Glance Our Contributors
IV-V VI-VII
VIII
1.
2.
5.
भारतीय चिन्तन में आत्म-तत्त्व : एक समीक्षा
१-१२ प्रो० सुदर्शन लाल जैन अङ्ग आगम में प्रयुक्त देश्य शब्द : हिन्दी शब्दों के प्राचीनतम स्रोत के रूप में
१३-२४ डॉ० अशोक कुमार सिंह आगमों में प्रतिपादित षड्जीव-अहिंसा विषयक अवधारणा २५-३४ डॉ० नवीन कुमार श्रीवास्तव अनेकान्तवादप्रवेश प्रतिपादित नित्यत्वानित्यत्ववाद ३५-४८ डॉ० राहुल कुमार सिंह अङ्ग साहित्य में वर्णित पारिवारिक व्यवस्था का स्वरूप ४९-५८ सुश्री श्वेता सिंह जैन दर्शन में इच्छा-स्वातन्त्र्य की समस्या
५९-६८ डॉ० रूबी जैन Lord Mahavira's Birthplace : The Need For Denovo Study
६९-७४ Gp. Capt. V.K. Jain Contribution of śramaņas to the Indian Tradition of Exegetical Literature
७५-८८ Dr. Rajesh Ranjan
स्थायी स्तम्भ जिज्ञासा और समाधान पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार जैन जगत् । साहित्य-सत्कार साभार प्राप्ति विद्यापीठ के आगामी प्रकाशन
८९-९४ ९५-१०२ १०३-१०४ १०५-१०६ १०७-१०८ १०९-११०