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________________ अङ्ग आगम में प्रयुक्त देश्य शब्द : १९ मइल अपभ्रंश समवायांगसूत्र में ‘मइल' शब्द का प्रयोग मैला, गन्दा अर्थ में हुआ है। में इसके अतिरिक्त मइल्ल और मइलि रूप भी प्राप्त होते हैं । ६२ आचार्य हेमचन्द्रकृत देशीनाममाला में भी मइल शब्द उपलब्ध है । ६३ किलिंच आज से तीन-चार दशक पहले छोटी कक्षाओं में किलिंच की लेखनी का प्रयोग किया जाता था। भगवतीसूत्र में किलिंच शब्द उपलब्ध है ६ ४ जिसका अर्थ है छोटी लकड़ी (लकड़ी का टुकड़ा) । देशीनाममाला में भी इस अर्थ में किलिंच शब्द मिलता है । ६५ गोड्ड पाँव, पैर अर्थ में हिन्दी में गोड़ शब्द प्रचलित है जो भगवतीसूत्र में उपलब्ध देश्य गोड शब्द से निष्पन्न है। अपभ्रंश में गोड मिलता है जो हिन्दी गोड़ के निकट है। ६७ चोप्पाल भगवतीसूत्र' में चोप्पाल शब्द मिलता है जिसका अर्थ पाइअसद्दमहण्णवो में वरण्डा बताया गया है। हिन्दी में चौपाल शब्द है। पोया भगवतीसूत्र७॰ में पोया शब्द साँप के बच्चे के लिए प्रयुक्त हुआ है। प्राकृत वाङ्मय में पोअ शब्द शिशु अर्थ में प्रयुक्त है। १ अपभ्रंश भाषा में पोअ का अर्थ एक छोटा साँप बताया गया है।७२ पोअ और पोय एक ही शब्द हैं। अ के स्थान पर य श्रुति हो गई है। ७३ बोल में बोल शब्द हिन्दी में वचन, जो कुछ बोला जाय, बात, शब्द, किसी बाजे की ध्वनि, संख्या, व्यंग्य प्रतिज्ञा आदि अर्थों में प्रयुक्त होता है।७४ सर्वप्रथम भगवतीसूत्र प्रयुक्त देश्य शब्द 'बोल' कोलाहल अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। ७५ प्राकृत साहित्य समूह अर्थ में भी इसका प्रयोग होता है। ७६ अपभ्रंश हिन्दी कोश में बोल का भाषण अर्थ लिया गया है।" देशीनाममाला में बोल शब्द का अर्थ तुमुल अर्थात् ध्वनि मिलता है।७८ भुस गेहूँ, जौ आदि का टुकड़े-टुकड़े किया हुआ डण्ठल जो पशुओं को खिलाया जाता है वह भूसा है। भूसा के अर्थ का वाचक भुस देश्य शब्द भगवतीसूत्र में सर्वप्रथम उपलब्ध है । ७९ स्थानांग में बुस शब्द भी भूसा के
SR No.525077
Book TitleSramana 2011 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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