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________________ १६ : श्रमण, वर्ष ६२, अंक २ / अप्रैल-जून-२०११ सात भङ्ग होते हैं। सात से कम या अधिक भङ्ग नहीं हो सकते, क्योंकि नय वाक्य सात ही होते हैं। सात भङ्ग निम्न प्रकार से होते हैं- १. विधि कल्पना, २. प्रतिषेध कल्पना, ३. क्रम से विधि-प्रतिषेध कल्पना, ४. एक साथ विधि-प्रतिषेध कल्पना, ५. विधि कल्पना के साथ विधि-प्रतिषेध कल्पना, ६. प्रतिषेध कल्पना के साथ विधि-प्रतिषेध कल्पना, ७. क्रम से तथा एक साथ विधि-प्रतिषेध कल्पना। सप्तभङ्गी के प्रथम दो भङ्गों का स्वरूप निर्धारण करते हुए आचार्य अकलङ्क देव कहते हैं कि- 'तत्र स्वात्मा स्याद् घटः परात्मा स्यादघट:'-१ अर्थात् स्वात्मा से स्वरूप की अपेक्षा घट है और परात्मा अर्थात् पररूप से अघट है। यहाँ मुख्य प्रश्न यह है कि- यह स्वात्मा क्या है? और परात्मा क्या है? आचार्य अकलङ्कदेव कहते हैं कि 'जिसमें घट-बुद्धि और घट व्यवहार होता है वह स्वात्मा है और जिसमें घट बुद्धि और घट शब्द- इन दोनों की प्रवृत्ति किंवा व्यवहार नहीं होता है वह परात्मा है, जैसे पट आदि। स्वरूप से ग्रहण और पररूप से त्याग के द्वारा ही वस्तु की वस्तुता स्थिर की जाती है। यदि स्व में पटाद्यात्मक पररूप की व्यावृत्ति न हो तो सभी रूपों से घट व्यवहार होने लगेगा और परात्मा रूप से व्यावृत्ति हो करके भी यदि स्वात्मा (स्वरूप) का ग्रहण न हो तब भी घट व्यवहार नहीं करेगा। अर्थात् घट का स्वरूप भी घट से भिन्न मान लिया जाये तो गधे के सींग की तरह घट नाम का कोई पदार्थ ही सिद्ध नहीं हो सकेगा। अतः स्व स्वरूप के ग्रहण और पररूपं के त्याग से ही वस्तु का वास्तविक वस्तुपना है।१० आचार्य अकलङ्कदेव ने सप्तभङ्गी के स्वरूप को समझाने के क्रम में स्वात्मा और परात्मा की भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से व्याख्या की है। उनके अनुसार नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव निक्षेपों में जो विवक्षित है वह स्वात्मा और जो विवक्षित नहीं है वह परात्मा है।११ अथवा घट शब्द के वाच्य अनेक घटों में से विवक्षित किसी घट विशेष के ग्रहण करने पर प्रतिनियत जो संस्थान (आकारादि) है वह स्वात्मा और अन्य घट सामान्य परात्मा है। अथवा उसी घट विशेष में अनेक क्षणस्थायी पूर्वोत्तर स्थास, कोश, कुशूल, कपाल आदि अवस्थाओं का समूह परात्मा है और कुशूल एवं कपाल के मध्य क्षणवर्ती घट स्वात्मा है।१३
SR No.525076
Book TitleSramana 2011 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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