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लेख पर्युषण : सही दृष्टि देने वाला महापर्व
वर्ष
अंक ई.सन्
पृष्ठ
तीर्थंकर ऋषभदेव व उनकी सांस्कृतिक परम्परा महावीर और उनकी परम्परा क्रोध का अभाव ही क्षमा है
५० ५० ५०
७-९ ७-९ ७-९
१९९९ १९९९ १९९९
१-९ १०-२६ २७-६३
५०
७-९
१९९९
६४-७०
९४ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४/ अक्टूबर-दिसम्बर-१०
जीवन की सरलता ही मृदुता है
५०
७-९
१९९९
७१-७६
लेखक
विषय प्रो. भागचन्द्र जैन धर्म, साधना, नीति
एवं आचार प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' समाज एवं संस्कृति प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' समाज एवं संस्कृति प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' धर्म, साधना, नीति
एवं आचार प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' धर्म, साधना, नीति
एवं आचार प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' धर्म, साधना, नीति
एवं आचार प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर धर्म, साधना, नीति
एवं आचार प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' धर्म, साधना, नीति
एवं आचार प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' धर्म, साधना, नीति
एवं आचार प्रो. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' धर्म, साधना, नीति
एवं आचार
- जीवन की निष्कपटता ही ऋजुता है
५०
७-९
१९९९
७७-८१
जीवन की निर्मलता ही शुचिता है
५०
७-९
१९९९
८२-८७
सत्य : साधना की ओर बढ़ता पदचाप
५०
७-९
१९९९
८८-९३
मन पर नकेल लगाना ही संयम है
५०
७-९
१९९९
९४-९९
स्वस्थ होना ही उत्तम तप है
५०
७-९
१९९९ १००-१११