SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८२ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर - १० श्रीवत्स, चक्र, पूर्णघट, कल्पवृक्ष तथा स्वस्तिक का अंकन हुआ है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी ने संचालन डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ प्रो. सुदर्शन लाल जैन ने किया । पार्श्वनाथ विद्यापीठ - आई. एस. जे. एस. ग्लोबल सेन्टर की गतिविधियाँ - जैसा कि आपको विदित है कि पार्श्वनाथ विद्यापीठ को विदेशी छात्रों / विद्वानों को जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति से परिचित कराने एवं जैनविद्या पर उनके विशेष अध्ययन हेतु एक पी. वी. आई. एस. जे. एस. ग्लोबल सेन्टर की स्थापना की गयी है। यह सेन्टर अन्तर्राष्ट्रीय जैन अध्ययन स्कूल (आई.एस.जे.एस.) के सहयोग से डॉ. सुलेख जैन (यू. एस. ए.) के नेतृत्व एवं डॉ. शुगनचन्द जैन के मार्गदर्शन में स्थापित किया गया है। आई. एस. जे. एस. के भारत में तीन मुख्य केन्द्र बनाए गए हैं- दिल्ली, जयपुर एवं वाराणसी। वाराणसी (पार्श्वनाथ विद्यापीठ) में विगत चार वर्षों से विदेशी छात्र / विद्वान् आई.एस.जे.एस. के सहयोग से जैन विद्या पर विशेष अध्ययन हेतु लगातार आ रहे हैं। इनके पठन-पाठन, भोजन आवास की समुचित व्यवस्था पार्श्वनाथ विद्यापीठ आई. एस. जे. एस. के सहयोग से करता है। विदेशी छात्रों को जैन विद्या अध्ययन के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जाये, कैसे उनकी इस क्षेत्र में अभिरुचि बढ़ाई जाये इस विषय पर विचारविमर्श करने के लिए आई. एस. जे. एस. ने उससे जुड़े सदस्यों की एक बैठक छोटी दादावाड़ी, दिल्ली में दिनांक १६ - १७ दिसम्बर २०१० को बुलाई थी। बैठक में लगातार दो दिनों तक समर स्कूल के अनेक बिन्दुओं पर चर्चा हुई, जिनमें अनेक बहुमूल्य सुझावों को रेखांकित किया गया। यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि अन्तर्राष्ट्रीय जैन अध्ययन स्कूल (आई.एस.जे.एस.) अब पार्श्वनाथ विद्यापीठ के अकादमिक विकास में अपनी हर सम्भव सहायता देगा तथा पार्श्वनाथ विद्यापीठ को जैन विद्या के एक विशेष केन्द्र के रूप में विकसित करेगा। आई. एस. जे. एस. के निदेशक डॉ. शुगनचन्द जैन जो पार्श्वनाथ विद्यापीठ प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष भी हैं, संस्था के चतुर्दिक् विकास के लिए कटिबद्ध हैं। विद्यापीठ में अब शीघ्र ही एम. ए. जैन विद्याध्ययन और योग पर नूतन पाठ्यक्रम चलाए जायेंगे तथा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम
SR No.525074
Book TitleSramana 2010 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy