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________________ || जिज्ञासा और समाधान १. जिज्ञासा- जैन धर्म में दीपावली पर्व क्यों मनाते हैं? इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? कु. अर्चिता जैन, अमेरिका समाधान - भारतीय पर्व संस्कृति के संवाहक होते हैं। इनके पीछे महापुरुषों के जीवन और कार्यों की घटनाओं का अपूर्व इतिहास छुपा होता है। ये केवल मौज-मस्ती से सम्बन्धित नहीं होते हैं अपितु इममें एक जनकल्याणकारी संदेश छुपा रहता है। दीपावली (दीप +आवली = दीप-पंक्ति) एक ऐसा ही ज्योति- पर्व है जो बाह्य-अन्धकार के साथ आभ्यन्तर-अन्धकार को भी दूर कर देता है। इस पर्व में हिन्दू और जैन सभी समान भाव से सम्मिलित होते हैं। इसे आध्यात्मिक चेतना का राष्ट्रीय पर्व भी कह सकते हैं। इसे मनाने के पीछे कुछ ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख हमें प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। जैसे हिन्दू पुराणों के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद 'रावण' नामक राक्षस का बध करके अयोध्या वापस आए थे। तब अयोध्यावासियों ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने तथा मर्यादा पुरुषोत्तम राम का स्वागत करने के लिए नगर को सजाकर दीपोत्सव मनाया था। २. हिन्दू पुराणों के ही अनुसार अत्याचारी और व्यभिचारी नरकासुर नरेश ने १६००० राज-कन्याओं को कैद कर लिया था जिससे प्रजाजन बहुत संत्रस्त थे। श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके उन राजकन्याओं को मुक्त कराया था। फलस्वरूप प्रजा ने खुशी में दीप जलाये थे जो कालान्तर में ज्योति-पर्व बन गया। ३. आज के दिन अत्याचारी राजा बलि को पाताल जाना पड़ा था और प्रजा में हर्ष व्याप्त हुआ था। ४. सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द सिंह जी को जेल से आज के दिन मुक्त किया गया था। ५. गुरु नानक का जन्म भी इसी दिन हुआ था। * प्रो. (डॉ.) सुदर्शनलाल जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी। मो. ०९४१५३८८२१८
SR No.525074
Book TitleSramana 2010 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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