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लेख
लेखक Dr. Sagarmal Jain Dr. Sagarmal Jain
विषय आगम और साहित्य
वर्ष ५९ ५९
अंक २ २
ई.सन् पृष्ठ २००८ १६८-१७३ २००८ १७४-१८३
विविध
Dr. Sagarmal Jain Dr. Sagarmal Jain
आगम और साहित्य आगम और साहित्य
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२००८ १८४-१९७ २००८ १९८-२१६
प्रो. एस.आर. व्यास
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२००८
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Jaina Literature How appropriate is the proposition of NeoDigambara School? Jaina Canonical Literature An investingation of the earlier subject matter of Praśnavyākaraņa sūtra कीट-रक्षक सिद्धान्त का नैतिक आधार एक उदार दृष्टिकोण का पक्षधर है : जैन दर्शन का 'स्याद्वाद' जैनागम में 'पाहुड' का महत्त्व जैनशास्त्रों में विज्ञानवाद वर्तमान संदर्भ में अनेकान्तवाद की प्रासंगिकता पदार्थ बोध की अवधारणा अपभ्रंश जैन कवियों का रसराज-'शांत रस पाश्चात्य एवं जैन मनोविज्ञान में मनोविक्षिप्तता एवं उन्माद जैन दर्शन में जीव का स्वरूप उदारवादी जैन धर्म-दर्शन : एक विवेचन
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डॉ. सुरेन्द्र वर्मा डॉ. ऋषभचन्द्र जैन डॉ. कमलेश कुमार जैन डॉ. श्याम किशोर सिंह डॉ. जयन्त उपाध्याय डॉ. शंभु नाथ सिंह
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२००८ २००८ २००८ २००८ २००८ २००८
८-१० ११-१४ १५-२३ २४-२८ २९-३६ ३७-४२
श्रमण अतीत के झरोखे में (द्वितीय खण्ड) : १२९
डॉ. साधना सिंह नीरज कुमार सिंह डॉ. द्विजेन्द्र कुमार झा
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२००८ २००८ २००८
४३-५२ ५३-५९ ६०-७०