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लेखक. डॉ. पुष्पलता जैन
विषय समाज एवं संस्कृति
वर्ष ५२
अंक १-३
ई.सन् २००१
पृष्ठ ६१-६७
लेख राष्ट्रोत्थान में प्रागैतिहासिककालीन जैन महिलाओं का योगदान रसशास्त्र के विकास में जैनाचार्यों का योगदान धम्मिलकुमारचरित्र दीघनिकाय में व्यक्त सामाजिक परिवेश । गुजरातनी केटलीक प्राचीन जिनमूर्तियो सिद्धशारस्वताचार्य अमरचन्द्र सूरि The influence of Svayambhūdeva's Paūmacariu on Puspadanta's Rāma-story in the Mahāpurāņa The Jaina way of life The Veda and Indian Philosophy
कु. अंजू श्रीवास्तव समाज एवं संस्कृति ५२ श्री भंवरलाल नाहटा आगम और साहित्य ५२ डॉ. दीनानाथ शर्मा समाज और संस्कृति ५२ श्री साराभाई मणिलाल नवाब इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला ५२ कनैयालाल भाईशंकर दवे समाज एवं संस्कृति ५२
१-३ १-३ १-३ १-३ १-३
२००१ ६८-७४ २००१ ७५-९० २००१ ९१-९४ २००१ ९५-९६ २००१ ९७-१०२
१०२ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४/ अक्टूबर-दिसम्बर-१०
Miss. Eva De Clereq Duli chand Jain Dr. Kireet Joshi
१-३ १-३ १-३
२००१ १०३-१२१ २००१ १२२-१२९ २००१ १३०-१४०
आगम एवं साहित्य ५२ समाज और संस्कृति ५२ दर्शन-तत्त्व मीमांसा ५२ एवं ज्ञान मीमांसा . आगम एवं साहित्य ५२ दर्शन-तत्त्व मीमांसा ५२ एवं ज्ञान मीमांसा दर्शन-तत्त्व मीमांसा एवं ५२ ज्ञान मीमांसा
Jaina Dūtakāvya
Dr. Ashok Kumar Singh द्रव्य, गुण और पर्याय का पारस्परिक सम्बन्ध : डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय (सिद्धसेन दिवाकरकृत 'सन्मतिप्रकरण' के विशेष सन्दर्भ में) अनेकान्तवाद और उसकी समसामयिकता डॉ. अजय कुमार
१-३ ४-९
२००१ १४१-१५३ २००१ १-१५
४-९
२००१
१६-१९