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________________ २६ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर-१० पाटलिपुत्र में हुई जो महावीर निर्वाण की दूसरी शताब्दी में मानी जाती है। यह मौर्य साम्राज्य की स्थापना. के प्रारम्भिक वर्षों का काल था जब जैनसंघ के आचार्य पद पर आचार्य भद्रबाहु सुशोभित थे। श्वेताम्बर परम्परा मानती है कि १२ वर्ष के भयंकर दुष्काल के बाद यहाँ श्रमण संघ एकत्रित हुआ और अंग, उपांग आदि में जिसे जो याद थे, उन सबका संकलन किया गया। इस वाचना के सम्बन्ध में श्वेताम्बर एवं दिगम्बर परम्परा में मतभेद है। दिगम्बर परम्परा ऐसी किसी भी वाचना का निषेध करती है और यह मानती है कि भयंकर दुष्काल के कारण श्रुत परम्परा सर्वथा विनष्ट हो गई थी। ___ श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार दूसरी वाचना वीर निर्माण की ९वीं शताब्दी में आचार्य स्कन्दिल की अध्यक्षता में मथुरा में हई। मथुरा में आयोजित होने के कारण इसे माथुरी वाचना के नाम से भी जाना जाता है। कथावली नामक ग्रन्थ से ज्ञात होता है कि माथुरी वाचना के समय वर्तमान गुजरात के वलभी नगर में आचार्य नागार्जुन की अध्यक्षता में एक अन्य वाचना हुई। इसे नागार्जुनीय वाचना भी कहते हैं। इसके उपरान्त सबसे महत्त्वपूर्ण तीसरी वाचना महावीर निर्वाण के ९८० या ९९३ वर्ष पश्चात् पुनः वलभी में हुई। इसकी अध्यक्षता प्रख्यात आचार्य देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण ने की थी। आचार्य ने सभी संघों को एकत्रित कर तत्कालीन समय में उपलब्ध सभी पाठों को पुस्तकबद्ध किया। देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण ने किसी प्रकार की नई वाचना का प्रवर्तन नहीं किया अपितु जो श्रुतपाठ पहले की वाचनाओं में निश्चित हो चुका था उसी को एकत्र कर व्यवस्थित रूप से संग्रहीत किया।" इस प्रकार हम देखते हैं कि पश्चिम भारत के जैन आचार्यों का साहित्य को संरक्षण प्रदान करने में महत् योगदान था। वलभी के जैनाचार्यों ने दोदो वाचनायें कर ग्रन्थों को अमर कर दिया। अपने इस प्रशंसनीय कार्य के कारण देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण सदैव याद रखे जायेंगे। इस महान् आचार्य के प्रारम्भिक जीवन के विषय में बहुत कम ज्ञात है। कल्पसूत्र स्थविरावली के अनुसार आचार्य देवर्द्धिगणि काश्यप गोत्र के थे। लोकानुश्रुति के आधार पर उनकी जन्मभूमि सौराष्ट्र मानी जाती है। यह कहा जाता है कि वे सौराष्ट्र नरेश अरिमर्दन के मंत्री कामार्द्धि के पुत्र थे। इनकी माता का नाम कलावती था। माता ने गर्भकाल में ऋद्धि सम्पन्न देव को स्वप्न में देखा था। पुत्र उत्पन्न होने पर उसी स्वप्न के आधार पर उनका नाम देवर्द्धि रखा गया। जैसाकि कहा गया है कि वलभी नगर में आयोजित इस तृतीय वाचना के वे ही
SR No.525073
Book TitleSramana 2010 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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