________________
जैन जगत्
श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार एवं सराक पुरस्कार २००९ की घोषणा
परमपूज्य राष्ट्रसंत, उपाध्यायरत्न श्री ज्ञानसागरजी महाराज की पावन प्रेरणा से स्थापित श्रुत संवर्द्धन संस्थान द्वारा १९९७ से नियमित रूप से प्रत्येक वर्ष पाँच (स्मृति) श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इन पुरस्कारों के अन्तर्गत अब तक ६१ विद्वानों का सम्मान किया जा चुका है। सम्प्रति प्रत्येक पुरस्कार के अन्तर्गत घोषित क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले चयनित विद्वान् / विदुषी को रु. ५१,०००/- की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्तिपत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
सराक पुरस्कार- इन पाँच श्रुत संवर्द्धन पुरस्कारों के साथ ही सराक क्षेत्र में कार्यरत तथा विशिष्ट योगदान देने वाली संस्थाओं / महानुभावों से भी सराक पुरस्कार - २००९ हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाते हैं। इस पुरस्कार हेतु तथा अन्य जानकारी हेतु सम्पर्क करें - डॉ. अनुपम जैन, पुरस्कार संयोजक, ज्ञान- छाया, डी.-१४, सुदामा नगर, इन्दौर - ४५२००९
डॉ. उदयचन्द्र जैन को प्राकृत में राष्ट्रपति पुरस्कार
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उदयचन्द्र जैन प्रसिद्ध भाषाविद् एवं जैन दर्शन के समर्पित लेखक हैं। डॉ. जैन का जन्म २ अप्रैल १९४७ को म.प्र. के बम्हौरी ग्राम (छतरपुर) में हुआ था। आपने जबलपुर एवं बनारस में अध्ययन कर जैन दर्शन शास्त्राचार्य (बी.एच.यू. से स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं एम.ए.
हिन्दी, एम. ए. पालि- प्राकृत, तथा जैन विद्या एवं प्राकृत में पी-एच. डी की उपाधियाँ प्राप्त की हैं। प्रारम्भ में आपने इन्दौर के जैन संस्कृत महाविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। १९७९ में आप सुखाड़िया विश्वविद्यालय में सेवारत हुए और २००७ अप्रैल में वहाँ से सेवानिवृत्त हुए। आपके उल्लेखनीय कार्यों एवं योगदानों के लिए १५ अगस्त २०१० को राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल द्वारा प्राकृत साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार की घोषणा की गई।
डॉ. उदयचन्द्र जैन ने जैन धर्म व समाज की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया है। आपके निर्देशन में लगभग ३० शोध छात्रों ने पी