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________________ १२० : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर - १० प्रो. (डॉ.) श्री विमल प्रकाश जैन का विद्यापीठ में आगमन हमें यह सूचित करते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि जबलपुर विश्वविद्यालय में संस्कृत-पालि- प्राकृत विभाग के सेवा-निवृत्त प्रोफेसर तथा भोगीलाल लहेरचन्द भारतीय संस्कृति संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. (डॉ.) विमल प्रकाश जैन जी का पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रांगण में अक्टूबर मास की २२ तारीख को पार्श्वनाथ विद्यापीठ के विकास हेतु आगमन हो रहा है। इसके पूर्व आप अमेरिका में शोध-कार्यरत थे। पार्श्वनाथ विद्यापीठ उनके स्वागत को आतुर है। जैन विश्वकोश का प्रथम खंड पार्श्वनाथ विद्यापीठ से प्रकाशित बहुप्रतीक्षित जैन विश्वकोश का प्रथम खण्ड " जैन कला व स्थापत्य" प्रकाशित हो चुका है। इस विश्वकोश के सम्पादक विद्वान् त्रय प्रो. मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी, प्रो. हरिहर सिंह एवं प्रो. कमल गिरि ने जैन कला व स्थापत्य के विभिन्न आयामों को प्रामाणिकता के साथ सचित्र व्याख्यायित किया है। इसके मुख्य संपादक प्रो. सागरमल जैन जी हैं। यह अपने तरह का एक अनूठा कार्य है जो पहली बार पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा प्रकाशित किया गया है। अन्य छह खण्ड भी यथा शीघ्र पूर्ण होने की प्रक्रिया में हैं।
SR No.525073
Book TitleSramana 2010 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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