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________________ ७० : श्रमण, वर्ष ६१, अंक २ / अप्रैल-जून-१० होने की सलाह दी और बताया कि सम्यक् कर्म से वे श्रेष्ठ स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं। समाज के बहुसंख्यक कमजोर, पद-दलित, अधिकार-विहीन मनुष्यों के अन्दर कर्म के सिद्धान्तों ने जबरदस्त आत्मविश्वास का संचार किया। इस प्रकार जैन धर्म ने अपने आध्यात्मिक मूल्यों के साथ सामाजिक मूल्यों की स्थापना करके तत्कालीन समाज में समाजवाद की विचारधारा को स्थापित किया। स्त्रियों की स्थिति में क्रान्तिकारी बदलाव किया। वर्ण-निरपेक्ष आन्दोलन का सूत्रपात किया। व्यापार-वाणिज्य एवं नगर-संस्कृति के विकास एवं प्रसार में योगदान किया। ईश्वरीय हस्तक्षेप का निषेध कर कर्म की विशेषता को समाज में स्थापित कर धार्मिक अन्धविश्वासों तथा हिंसा प्रधान बाह्य धार्मिक क्रियाओं का निषेध करके विवेकपूर्वक धार्मिक आचरण करने की सलाह दी। संयमी, वीतरागी, अपरिग्रही, अनेकान्तदृष्टि से जीने की राह बतलाई। यही जैन धर्म की सामाजिक क्रान्ति है। आज इस वैज्ञानिक युग में भी उन्हीं सामाजिक मूल्यों को महत्त्व दिया जा रहा है जिन्हें भगवान् महावीर ने आज से २५०० वर्ष पूर्व बतलाया था। सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची १. ऋग्वेद, १०.१६६.१ २. अथर्ववेद, ११.५.२४-२६, गोपथ ब्राह्मण, २.८ ३. श्रीमद्भागवत, ५.२८ ४. विस्तृत अध्ययन के लिए पढ़ें, बाशम, ए.एल. (सम्पादन), ए कल्चरल हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी प्रेस, नई दिल्ली, १९७५, पृ. १००-११०, पाण्डेय, वी.सी.- प्राचीन भारत का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास, भाग-१, सेन्ट्रल पब्लिशिंग हाउस, इलाहाबाद, १९९८, पृ. २६१,२६२, २७८, २८२, २८३, शर्मा, आर.एस. प्राचीन भारत का इतिहास, एनसीईआरटी, नई दिल्ली, १९९०, पृ. ९७, पांडे, बिशम्भरनाथ- भारत और मानव संस्कृति, खण्ड-१, प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, १९९६, पृ. १००-१२५ ५. सूत्रकृतांग, २.१.३५ ६. विस्तृत अध्ययन के लिए पढ़ें, शर्मा, डॉ. आनन्द कुमार, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति में स्त्रियों की स्थिति (गुप्त-वर्धन काल तक),शोध-समवेत, श्री कावेरी शोध संस्थान, उज्जैन, वो. १६, नं. ०२, जुलाई-सितम्बर, २००७, पृ. १४७-१५१ ७. मिश्र, जयशंकर-प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, पटना, २००१, पृ.७७६ ८. कल्पसूत्र, १३४-३७, आवश्यक नियुक्ति, गा. २५९, २६३
SR No.525072
Book TitleSramana 2010 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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