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________________ जैनागमों में शिक्षा का स्वरूप : ३१ 'धर्मपत्नी' कहा गया है जो धर्म भावना को बढ़ाने वाली होती है। वह वासना की मूर्ति नहीं है। आगम में पत्नी के बारे में बड़ा सुन्दर वर्णन आता है भारिया धम्मसहाइया, धम्मविइज्जिया। धम्माणुरागरत्ता, समसुहदुक्खसहाइया ।।३१ अर्थात् पत्नी धर्म में सहायता करने वाली, साथ देने वाली अनुरागयुक्त तथा सुख-दुःख को समान रूप में बंटाने वाली होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि हम दुनियां की सभी सूचनाएँ प्राप्त करें, विज्ञान व भौतिक जगत् का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करें, सारी उपलब्धियाँ प्राप्त करें लेकिन इन सबके साथ धर्म के जीवनमूल्यों की उपेक्षा न करें। उस स्थिति में विज्ञान भी विनाशक शक्ति न होकर मानव जाति के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा। तीन प्रकार के आचार्य राजप्रश्नीयसूत्र में तीन प्रकार के आचार्यों का उल्लेख मिलता है- कलाचार्य, शिल्पाचार्य और धर्माचार्य। कलाचार्य जीवनोपयोगी ललित कलाओं, विज्ञान व सामाजिक ज्ञान जैसे विषयों की शिक्षा देते थे। भाषा, लिपि, गणित, भूगोल, खगोल, ज्योतिष, आयुर्वेद, संगीत और नृत्य इन सबकी शिक्षाएँ कलाचार्य प्रदान करते थे। जैनागमों में पुरुषों की ६४ कलाओं और स्त्रियों के ७२ कलाओं का विवरण मिलता है। शिल्पाचार्य आजीविका से सम्बन्धित शिक्षा देते थे। शिल्प, उद्योग व व्यापार से सम्बन्धित सारे कार्यों की शिक्षा देना शिल्पाचार्य का कार्य था। इन दोनों के अतिरिक्त तीसरा शिक्षक धर्माचार्य था, जिसका कार्य धर्म की शिक्षा प्रदान करना व चारित्र का विकास करना था। धर्माचार्य शील और सदाचरण का ज्ञान प्रदान करते थे। इन सब प्रकार की शिक्षाओं को प्राप्त करने के कारण हमारा श्रावक समाज बहुत सम्पन्न था। भगवान् महावीर ने कहा है- 'जे कम्मे सूरा ते धम्मे सूरा', अर्थात् जो कर्म में शूर होता है, वही धर्म में शूर होता है। चरित्र को उन्नत बनाएँ __ आज सूचना तकनीकी का द्रुतगामी विकास हुआ है। रेडियो टी.वी., कम्प्यूटर, इंटरनेट आदि द्वारा विश्व का सम्पूर्ण ज्ञान सहजता से उपलब्ध हो रहा है, लेकिन यदि बालक के चरित्र निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये वैज्ञानिक साधन उसे पतित कर सकते हैं। आज विश्व के सर्वाधिक समृद्ध राष्ट्र अमेरिका का एक विद्यार्थी १८ वर्ष की उम्र तक कम से कम अनेक हत्याओं, बलात्कार आदि के दृश्य टी.वी. आदि पर देख लेता है। उस विद्यार्थी के कोमल मस्तिष्क पर भयंकर दुष्प्रभाव पड़ता है? आज यही तकनीकी हमारे देश में भी सुलभ हो गई है। अनेक प्रकार के चैनल व चलचित्र टी.वी. पर प्रदर्शित होते हैं जो
SR No.525072
Book TitleSramana 2010 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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