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________________ ४४ श्रमण, वर्ष ६०, अंक १/जनवरी-मार्च २००९ हेमचन्द्रसूरि पूर्णचन्द्रसूरि तृतीय पट्टावली तो गच्छ के प्रवर्तक पार्श्वचन्द्रसूरि से ही प्रारम्भ होती है। इसमें भी सागरचन्द्रसूरि तक का पट्टक्रम प्राप्त होता है, जो इस प्रकार है : तालिका-४ हेमहंससूरि पार्श्वचन्द्रसूरि (वि०सं० १५७२ में नागपुरीय तपागच्छ से अलग होकर वि०सं० १५७५ में अपना मत प्रकट किया) समरचन्द्रसूरि लक्ष्मीनिवाससूरि पुण्यरलसूरि पार्श्वचन्द्रसूरि समरचन्द्रसूरि राजचन्द्रसूरि विमलचन्द्रसूरि जयचन्द्रसूरि पद्मचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि नेमिचन्द्रसूरि राजचन्द्रसूरि पूर विमलचन्द्रसूरि जयचन्द्रसूरि (वि०सं० १६९९ में स्वर्गस्थ) पद्मचन्द्रसूरि (वि०सं० १७४४ में स्वर्गस्थ) मुनिचन्द्रसूरि (वि०सं० १७९७ में स्वर्गस्थ) कनकचन्द्रसूरि शिवचन्द्रसूरि कनकचन्द्रसूरि शिवचन्द्रसूरि (वि०सं०१८२३ में स्वर्गस्थ) भानुचन्द्रसूरि विवेकचन्द्रसूरि भानुचन्द्रसूरि विवेकचन्द्रसूरि लब्धिचन्द्रसूरि हर्षचन्द्रसूरि मुक्तिचन्द्रसूरि भ्रातृचन्द्रसूरि (वि०सं० १९२० में जन्म, वि०सं० १९३५ में दीक्षा, वि०सं० १९३७ में क्रियोद्धार, वि०सं० १९६७ में आचार्य पद, १९७२ में निधन) सागरचन्द्रसूरि (वि०सं० १९४३ में जन्म, १९५८ में दीक्षा, वि०सं० १९९३ में आचार्य पद, वि०सं० १९९५ में स्वर्गस्थ) मुनिवृद्धिचन्द्र लब्धिचन्द्रसूरि हर्षचन्द्रसूरि (वि०सं० १९१३ में स्वर्गस्थ) हेमचन्द्रसूरि (वि०सं० १९४० में स्वर्गस्थ) भ्रातृचन्द्रसूरि (वि०सं० १९७२ में स्वर्गस्थ) सागरचन्द्रसूरि (वि०सं० १९९३ में स्वर्गस्थ) चतुर्थ पट्टावली श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई द्वारा संपादित जैनगूर्जर कविओ भाग २ (प्रथम संस्करण) में दी गयी है। इसमें भी आचार्य वादिदेवसरि के शिष्य पद्मप्रभसूरि
SR No.525067
Book TitleSramana 2009 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2009
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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