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श्रमण, वर्ष ५९, अंक ३ जुलाई-सितम्बर २००८
उदारवादी जैन धर्म-दर्शन : एक विवेचन
डॉ. द्विजेन्द्र कुमार झा*
विश्व-प्रचलित धर्मों के इतिहास में विवेचित इनके रूपों, रूप-विधानों तथा वर्णित विषयों से यह पता चल पाता है कि तत्सम्बन्धी आधुनिक अध्ययनों में 'धर्मदर्शन' (फिलॉसफी ऑफ रिलिजन) सामान्य रूप से धार्मिक अनुभूति के स्वरूप, कार्य, मूल्य एवं सत्य का दार्शनिक प्रस्तुतीकरण है। डी० एम० एडवर्ड के अनुसार यह धार्मिक अनुभूति के क्रम में उत्पन्न चुनौतियों के दार्शनिक प्रत्युत्तर का उपस्थापन है। मोटे तौर पर ब्राइटमैन ने इसे धर्म की बौद्धिक व्याख्या कहा है जिसका सम्बन्ध धार्मिक विश्वास तथा धार्मिक प्रवृत्ति एवं व्यवहारों के मूल्यों के साथ-साथ अन्य अनुभूतियों की व्याख्या से है और राइट ने इसे और व्यापक बनाते हुए धर्म को सत्यता, विश्वासों एवं व्यवहारों में निहित चरम अर्थ की व्याख्या से जोड़ा है। तकनीकी दृष्टि से यह धर्म एवं सत्ता के बीच के सम्बन्ध की व्याख्या करता है। इस प्रकार धर्म-दर्शन धार्मिक मान्यताओं की सत्यता और प्रामाणिकता के परीक्षण की विवेचना है जिसका उद्देश्य धार्मिक और मौलिक विश्वासों के बीच एकत्व स्थापित करते हुए मानव जीवन को आचार एवं दिशा प्रदान करना है। चूँकि जैन धर्म-दर्शन इन मान्यताओं की संपुष्टि करने में सर्वथा समर्थ है, इसलिए इसे जीवंत धर्म के रूप में उत्कृष्ट धर्म-दर्शन की प्रतिष्ठा सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दृष्टि से प्राप्त है। हरबर्ट डब्ल्यू० स्चैडर ने 'लिबरल रिलिजन' अर्थात् उदारवादी धर्म की विवेचना की है। इस क्रम में उन्होंने कुछ बातों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है जिससे उदारवादी धर्म के कतिपय महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं का पता चलता है। उनका मानना है कि जिनमें अनासक्त शुभ-चिन्ता (डिसइन्टरेस्टेड वेलविशेस), व्यावहारिक धर्म जिनका पर्याप्त सैद्धांतिक आधार हो (प्रैक्टिकल रिलिजन विद एडिक्वेट थ्यारेटिकल बेसिस), नैतिक परिवर्तन लाने की साधकता, क्रियाशीलता, धर्मनिष्ठा, गणतंत्रवाद को उन्नत बनाने की प्रगुणता तथा लक्ष्यों की खोज की क्षमता मौजूद हो वे उदारवादी धर्म की कोटि में रखे जा सकते हैं। यह अत्युक्ति नहीं होगी यदि इस अर्थ में जैन-धर्म को उदारवादी धर्म तथा जैन धर्म-दर्शन को उदारवादी धर्म-दर्शन कहा जाए। जैन धर्म-दर्शन का प्रगामी विवेचन यह सिद्ध करने में समर्थ है कि वह अपने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष विचार में उदारवादी धर्म कहलाने का प्रकर्ष रखता है। * ग्राo+ पो०- भटहाँ, भाया-सुगौली, जिला-पूर्वी चम्पारण-८४५४५६ (बिहार)
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