SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद :- अब एक समय महासात्त्विक, विरक्तचित्त वाले, उत्पन्न हुए अत्यंत शुद्ध संवेग वाले मेघनाद ने अपने पुत्र अशनिवेग को मन्त्रीपद देकर प्रभंजन राजा के साथ सद्गुरु के चरण में दीक्षा स्वीकार किया। गाहा :-अशनिको - चंपकमालाने पां. पुत्र खयरो वि असणिवेगो चंपगमालाए हियय-दइयाए। समयं गिह-वास-फलं अणुहवई विसय-सोक्खंति ।।१०७।। संस्कृत छाया : खचरोप्यशनिवेगश्चम्पकमालया हृदयदयितया। समकं गृहवासफलमनुभवति विषयसौख्यमिति।।१०७।। गुजराती अर्थ :- अशनिवेग विद्याधर पण प्राणप्रिया चम्पकमालानी साथे गृहवासना फल स्वरूप विषयसुखने अनुभवे छे! हिन्दी अनुवाद :- अशनिवेग विद्याधर भी प्राणप्रिया चम्पकमाला के साथ गृहवास के फलस्वरूप विषयसुख का अनुभव करता है। गाहा : अह चंपगमालाए कमेण पुत्ता ओ पंच उप्पन्ना । ताणं पिययम! निसुणसु कमेण एयाइं नामाई ।।१०८।। संस्कृत छाया : अथ चम्पकमालायाः क्रमेण पुत्रास्तु पंचोत्पन्नाः । तेषां प्रियतम! निःशृण क्रमेण एनानि नामानि ।।१०८।। गुजराती अर्थ :- हवे चम्पकमालाने क्रमपूर्वक पांच पुत्रो उत्पन्न थया, तेओना आं प्रमाणे नामो छे ते हे प्रियतम! तमे सांभळो! हिन्दी अनुवाद :- फलस्वरूप चम्पकमाला को क्रम से पांच पुत्र हुए। हे प्रियतम! उन पुत्रों के नाम आप इस क्रम से सुनिए। गाहा : वज्जगई वाउगई चंदो तह चंदणो सुसीहो य । पंचण्हें पुत्ताणं उवरि धूया अहं जाया ।।१०९।। संस्कृत छाया : वज्रगति-र्वायुगतिश्चन्द्रस्तथा चन्दनः सुशिखश्च । पञ्चानां पुत्राणामुपरि दुहिताऽहं जाता ।।१०९।। गुजराती अर्थ :- वज्रगति, वायुगति, चन्द्र, चन्दन अने सुशीख आ पांच पुत्रोनी उपर हुं पुत्री थई! हिन्दी अनुवाद :- वज्रगति, वायुगति, चन्द्र, चन्दन और सुशीख इन पांच पुत्रों के पश्चात् मैं पुत्री हुई। 354 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy