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________________ हिन्दी अनुवाद के आवास तुल्य पिता को आनन्द देने वाला क्रमशः यौवन को पाया। गाहा : तो य दक्खिणाए इमीए सेठीए कुंजरावत्ते । एयम्मि चेव नयरे चंदगई आसि वर - खयरो ।। १०० ।। संस्कृत छाया : इतश्च दक्षिणायामस्यां श्रेण्यां कुञ्जरावर्ते । एतस्मिन्नेव नगरे चन्द्रगतिरासीद् वरखेचरः ||१००|| गुजराती अर्थ :- (आ बाजु) आ दक्षिण श्रेणिमां आज कुंजरावर्त्तनगरमां चन्द्रगति नामनो श्रेष्ठ विद्याधर छे । विद्याधरोचित कला-समूह से शिक्षित, सिद्ध विद्यावाला, गुणगणो हिन्दी अनुवाद :का श्रेष्ठ विद्याधर है। गाहा : तस्स य मण - वल्लहिया महिला नामेण मयणरेहत्ति । कालेण ताण पुत्तो अमियगई नाम संजाओ ।। १०१ ।। संस्कृत छाया : गाहा : इस तरफ दक्षिण श्रेणि में इसी कुञ्जरावर्त्त नगर में चन्द्रगति नाम तस्य च मनोवल्लभिका महिला नाम्ना मदनरेखेति । कालेन तयोः पुत्रोऽमितगति र्नाम सञ्जातः ।। १०१ ।। गुजराती अर्थ :- तेने मनवल्लभ मदनरेखा नामनी पत्नी छे. कालक्रमे ते बन्ने ने अमितगति नामनो पुत्र थयो ! हिन्दी अनुवाद :- उसकी मनोवल्लभ मदनरेखा नाम की पत्नी है, कालक्रम से उन को अमितगति नाम का पुत्र हुआ। धूया चंपय- गोरा चंपयमालत्ति तदणुसंजाया । पत्ता य जोव्वणं सा विज्जाहर - कुमर-मण- हरणं ।। १०२ ।। संस्कृत छाया : दुहिता चम्पकगौरा चम्पकमालेति तदनुसञ्जाता । प्राप्ता च यौवनं सा विद्याधरकुमार मनोहरणम् । । १०२ ।। गुजराती अर्थ :- तेना पछी चम्पक ना पुष्प जेवी उज्ज्वलवर्णवाली चम्पकमाला नामनी पुत्री थई, अने ते विद्याधर कुमारोना मन ने हरनार यौवन ने पामी! Jain Education International : हिन्दी अनुवाद तत्पश्चात् चम्पक के पुष्प जैसी उज्ज्वल वर्णवाली चम्पकमाला नाम की पुत्री हुई और उसने विद्याधर कुमारों के मन को हरनेवाले यौवन को पाया। 352 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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