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________________ भक्त, चार प्रकार नी बुद्धि वालो, राजा नो विश्वासपात्र, मेघनाद नामनो श्रेष्ठ-मन्त्री छे। हिन्दी अनुवाद :- उस नगर में सुन्दर प्रसिद्धि को पाया हुआ प्रभञ्जन नामक विद्याधरों का राजा है, जिसका नीतिशास्त्र में अतिकुशल, प्रभु का परम भक्त- चार प्रकार की बुद्धि से युक्त, राजा का विश्वासपात्र। मेघनाद नाम का श्रेष्ठ मन्त्री है। गाहा : तस्स य घरिणी पवरा पइ-व्वया रूव-संवया-कलिया। उत्तम-कुल-प्पसूया इंदुमई नाम आसित्ति ।।९७।। संस्कृत छाया : तस्य च गृहिणी प्रवरा-पतिव्रता रूप-सम्पत कलिता। उत्तमकुलप्रसूता इन्दुमति मासीदिति? ||९७।। गुजराती अर्थ :- अने तेने श्रेष्ठ, रूप-सौंदर्य थी शोभती, उत्तमकुलमां उत्पन्न थयेली, पतिव्रता एवी इन्दुमति नामनी पत्नी छ। हिन्दी अनुवाद : - और उसकी श्रेष्ठ रूप-सौन्दर्य से सुशोभित उत्तमकुल में उत्पन्न पतिव्रता इन्दुमति नाम की पत्नी हैं। गाहा : तीए सह विसय-सोक्खं निसेवमाणस्स मेहनायस्स। जाओ सुओ सुरूवो नामेणं असणिवेगोत्ति।।९८।। संस्कृत छाया : तया सह विषयसौख्यं निसेवमानस्य मेघनादस्य। जातः सुतः सुरूपो नाम्ना अशनिवेग इति।।१८।। गुजराती अर्थ :- तेणीनी साथे विषयसुखने सेवता मेघनादने अत्यंत रूपवान् अशनिवेग नामनो पुत्र थयो! हिन्दी अनुवाद :- उसके साथ विषयसुख का सेवन करते हुए मेघनाद को अत्यंत रूपवान अशनिवेग नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। गाहा : अब्भसिय-कला-नियरो साहिय-विज्जो गुणाण आवासो। जणयाण कयाणंदो कमसो सो जोव्वणं पत्तो ।।९९।। संस्कृत छाया : अभ्यसितकलानिकरः साधितविद्यो गुणानामावासः। जनकानां कृतानन्दः क्रमशः स यौवनं प्राप्तः ||९९।। गुजराती अर्थ :- विद्याधर उचित कलाओना समूह ने शीखेलो, सिद्ध विद्यावान्, अणगण ना स्थान रूप (माता) पिता ने आनंद आपनार क्रमशः युवान थयो। 351 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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