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हिन्दी अनुवाद :- अब डर से वह जब कुछ भी बोल सकी, तब हे चित्रवेग! मैंने मेरी सारी प्रवृत्ति उसे बता दी! मैनें पहले आपको जो बात कही थी वो तथा स्त्री रूप धारण करके आने तक की सभी प्रवृत्ति संक्षेप में कह सुनाई। गाहा :
सुंदरि! तुज्झ विओगे गुरु-दुक्खं माणसं मए पत्तं।
भमिओ तुज्झ निमित्ते सव्वेसु वि खयर-नयरेसु ।।९०।। संस्कृत छाया :
हे! सुन्दरि! ते वियोगे गुरुदुःखं मानसं मया प्राप्तम् ।
भ्रान्तस्ते निमित्ते सर्वेष्वपि खेचर नगरेषु ।।१०।। गुजराती अर्थ :- हे सुन्दरि ! तारा वियोगमां में मानसिक घणुं दुःख प्राप्त कर्यु छे अने तारा निमित्ते हुँ बधा ज विद्याधरनगरोमां भम्यो! हिन्दी अनुवाद :- हे सुन्दरी! तेरे वियोग से मुझे बहुत ही मानसिक परिताप हुआ है, तथा तेरे लिए ही मैं सभी विद्याधरनगरों में आज तक घूमा हूँ। गाहा :
ता लज्जं मोत्तूण साहसु किं तुज्झ नामधेयं ति । __ कम्मि कुले तुह जम्मो किं वा नामं तु ते पिउणो? ।।९१।। संस्कृत छाया :
तर्हि लज्जां मुक्त्वा कथय किं तव नामधेयमिति ।
कस्मिन कले ते जन्म, किं वा नाम तु ते पितुः ||९१।। गुजराती अर्थ :- तो लज्जा छोड़ी ने तारूं नाम मने बताव! तारो जन्म क्या कुलमां थयो छे अने तारा पितानुं नाम शुं छे? हिन्दी अनुवाद :- अत: लज्जा को छोड़कर तेरा नाम मुझे बता, कौन से कुल में तेरा जन्म हुआ तथा तेरे पिताजी का क्या नाम है? यह सभी चीज मुझे बता! गाहा :
कहवि पुरे इह पत्ता पभूय-लोयस्स मज्झयारम्मि ।
इत्थीरूवोवि अहं विनाओ सुयणु! कह तुमए? ।। ९२।। संस्कृत छाया :
कथमपि पुरे इह प्राप्ता प्रभूत लोकस्य मध्ये ।
स्त्रीरूपोप्यहं विज्ञातः स्तनो! कथं त्वया?||९२।। गुजराती अर्थ :- वळी आ नगरमां दुं केवी रीते आवी, तथा हे सुन्दरि लोको वच्चे स्त्रीरुपवा मने तें केवी रीते ओळख्यो? हिन्दी अनुवाद :- तथा नगर में कैसे आयी? और स्त्री-रूपधारी मुझे तूने किस तरह से लोगों के बीच में भी पहचाना?
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