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________________ गुजराती अर्थ :- नभोवाहनराजानी आगळ वारांगनाओए विविध अंगो ना अभिनय साथे सुन्दर नाटक कर्यु। तेमज मधुर स्वर णड़े केटलीक वारांगनाओ गीत गावा लागी। हिन्दी अनुवाद :- नभोवाहन राजा के सामने वारांगनाओं ने शरीर के विभिन्न अंगों से सुंदर नाटक किया तब मधुर स्वर द्वारा कुछ वारांगनाएं गीत गा रही थीं! गाहा :- युतिद्वारा मुद्रा दर्शन एत्यंतरम्मि एगा जुवई आगम्म कर-यलं निययं । मुद्दा- रयण-समेयं दंसइ मह सज्झसुप्फुण्णा ।।७७।। संस्कृत छाया : अत्रान्तरैका युवती आगम्य करतलं निजकम् । मुद्रारत्न-समेतं दर्शयति मह्यं साध्वसापूर्णा ।।७७।। गुजराती अर्थ :- एटलीवारमा भयपूर्ण हृदयवाळी एक युवती आवी ने मुद्रारत्न सहित पोतानी हथेली मने बतावी! हिन्दी अनुवाद :- इतनी देर में भयपूर्ण हृदयवाली एक युवती ने आकर मुद्रारत्न सहित अपनी हथेली मुझे दिखाई। गाहा : तं दट्टुं चिंतियं मे एसा सा मज्झ संतिया मुद्दा। हत्थि-भय-मोइयाए जा गहिया तीए कन्नाए ।।७८।। संस्कृत छाया : तद् दृष्ट्वा चिन्तितं मयैषा सा मम सत्-का मुद्रा । ___हस्तिभय-मोचितया या गृहीता तया कन्यया ।।७८।। गुजराती अर्थ :- ते जोइ ने में विचार्यु आ ते मुद्रिका मारी छे के जे हाथी भय थी छोडायेली ते कन्याए ग्रहण की हती! हिन्दी अनुवाद :- उस मुद्रारत्न को देखकर मैंने सोचा, यह मुद्रिका तो मेरी है जो उस समय हाथी के भय से मुक्त की हुई कन्या से ग्रहण की थी। गाहा : अइगुरुयं अंगुढेि मणयं ओसारिउं मए तत्तो । अवलोइया य एसा सहसा अह पच्चभिन्नाया।।७९।। संस्कृत छाया : अतिगुरूकमङ्गलीयकं मनागपसार्य मया ततः। अवलोकिता चैषा सहसाऽथ प्रत्यभिज्ञाता ||७९।। 345 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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