SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लहु-सद्देणं एवं सोवालंभं सगग्गरं भणइ । निज्जिय- सुर- मणुओवि हु पहरसि इत्थीण किं भयवं ! ।। १२ । । संस्कृत छाया : संपूज्य काममथ सा निपत्यापि तस्य चरणयोः । दीर्घं निःश्वस्य गलत्-स्थूलाश्रुनयनवती ।। ११ ।। लघु-शब्देन एवं सोपालम्भं सगद्गद् भणति । निर्जित- सुर- मनुजोऽपि खलु प्रहरसि स्त्रीणां किं भगवन् ?||१२|| युग्मम् ।। गुजराती अर्थ:- हवे कामदेवनी सारी रीते पूजा करीने, कामदेवनां चरणमां प्रणाम करीने बहु उंडा निःश्वास नाखीने, झरता मोटा मोटा आंसुओ थी भरेली आंखवाली, मंदमंद शब्द थी गद्गद् कण्ठे ठपका पूर्वक ते बाला बोलवा लागी, हे भगवन्! सुर तथा मनुष्योने जीत्या पछी पण तुं स्त्री- जातिने शा माटे मारे छे? हिन्दी अनुवाद :- फिर कामदेव की सुंदर भक्ति कर, चरणों में प्रणाम करके बहुत लम्बे निःश्वास डाल कर झरते हुए बड़े-बड़े अश्रुओं से भरी हुई आंखवाली, मंदमंद शब्द द्वारा गद्गद होकर उपालम्भ युक्त वचन बोलने लगी, हे भगवन्! आप देव एवं मनुष्यों को जीतने पर भी स्त्री जाति को क्यों मारते हो ? गाहा : जइ मज्झ तम्मि लोए भयवं ! गरुओ कओ हु अणुराओ । ता कीस तं यमोत्तुं घडसि ममं अन्न - लोएणं ? ।। १३ ।। संस्कृत छाया : यदि मे तस्मिल्लोके भगवन्! गुरुकः कृतः खल्वनुरागः । तर्हि कस्मात् तं प्रमुच्य घटयसि मां अन्य-लोकेन ? ।। १३ ।। गुजराती अर्थ :- हे भगवन्! जो तारावडे ते प्राणप्रियने विषे मने अतिशय अनुराग करायो छे तो तेने छोड़ी ने अन्य पुरुष साथे मने केम जोडे छे ? हिन्दी अनुवाद :- हे भगवन्! यदि आपने उस प्राणप्रिय के प्रति मुझे अतिशय अनुराग कराया है तो फिर उससे छुड़ाकर अन्य पुरुष के साथ मुझे क्यों जोड़ रहे हो? गाहा :- अन्नं च सुम्मति इत्थ लोए पंचेव सिलीमुहाओ किल तुज्झ । नवरं ममं पडुच्चा सहस्स- बाणोव्व तं जाओ । । १४ । । संस्कृत छाया : श्रूयते अत्र लोके पञ्चैव शिलीमुखाः किल तव । नवरं मां प्रतीत्य सहस्रबाण इव त्वं जातः ।।१४।। Jain Education International 324 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy