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६४. हरिभद्र - साहित्य में समाज एवं संस्कृति - (ग्रं०मा०सं० ७२), लेखिका : डॉ० श्रीमती कमल जैन: प्रथम संस्करण १९९४ पृ० २२५; मूल्य : रु० १५०.००; आकार : डिमाई |
- २०.००१
६५. गाथासप्तशती - (ग्रं०मा०सं० ७७), अनुवादक : पं० विश्वनाथ पाठक; प्रथम संस्करण; पृ० १६८; मूल्य : रु० - १५०.००; आकार : डिमाई; १९९५। ६६. जैन धर्म में नारी की भूमिका - (ग्रं०मा०सं० ७६), लेखक : प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९५; पृ० : ४८; आकार : डिमाई; मूल्य : रु० - ६७. शृंगारवैराग्यतरंगिणी - (ग्रं०मा०सं०७३), अनुवादक, मुनि अशोक; प्रथम संस्करण १९९५; पृष्ठ - १५+३४; मूल्य : रु० - २०.००; आकार : डिमाई | ६८. मातृकापद शृंगाररसकलित गाथाकोश - (ग्रं०मा०सं०), अनुवादक : श्री भँवरलाल नाहटा; प्रथम संस्करण १९९४; पृष्ठ - १८+७; मूल्य : रु० - १५.००, आकार : डिमाई ।
६९. आचारांग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन - (ग्रं०मा०सं० ८०) लेखिका - डॉ० साध्वी प्रियदर्शना श्री, प्रथम संस्करण, १९९५; आकार - डिमाई; पृ० : २९२ + १२ + ८; मूल्य : रु० २००.००।
७०. बौद्ध प्रमाणमीमांसा की जैन दृष्टि से समीक्षा - (ग्रं०मा०सं० ८१), लेखक - डॉ० धर्मचन्द जैन, प्रथम संस्करण; पृष्ठ सं. १२+४३९; मूल्य : रु० - ३५०.००; आकार : डिमाई; १९९५ ।
७१. जैन नीतिशास्त्र : एक तुलनात्मक विवेचन - (ग्रं०मा०सं०७९), लेखिका - डॉ० प्रतिभा जैन, प्रथम संस्करण; पृष्ठ सं० २३४, मूल्य : रु० - १८०.००; आकारः डिमाई, १९९५ ।
७२. निर्भयभीमव्यायोग - (ग्रं०मा०सं० ८२) अनुवादक - डॉ० धीरेन्द्र मिश्र; प्रथम संस्करण – १९९६; आकार : डिमाई; पृ० - ६+२०+ ३३; मूल्य : रु०
३०.००।
७३. नलविलासनाटकम् - (ग्रं०मा०सं० ८३), अनुवादक : डॉ० धीरेन्द्र मिश्र; प्रथम संस्करण : १९९८; आकार : डिमाई; पृ० - ४१ + १९८; मूल्य : रु०
६०.००।
७४. अनेकान्तवाद और पाश्चात्य व्यावहारिकतावाद - (ग्रं०मा०सं० ८५ ), लेखक - डॉ० राजेन्द्र कुमार सिंह; प्रथम संस्करण १९९६; आकार - डिमाई
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पृ० - १५९, मूल्य : रु० १५०.००१
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