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________________ i हिन्दी अनुवाद यहाँ एक उपाय है कि मैं सभी खेचर नगरो में फिरूं, अतः कभी कहीं पर कोई आदमी मेरी उस प्रिया का समाचार देनेवाला मिल जाये। गाहा ― दासिज्ज अहव सक्खा परिब्भमंतेहि कम्मिवि पुरस्मि । चंदमुही सा बाला, तहा यं अइसुंदरं चेव ।। २२१ । । संस्कृत छाया दृश्येताऽथवा साक्षात् परिभ्राम्यद्भिः कस्मिन्नपि पुरे । चन्द्रमुखी सा बाला तथा चातिसुन्दरमेव ।।२२१।। गुजराती अर्थ अथवा भमता एवा मारा वड़े कोईक नगरमा ते चन्द्रमुखी बाला जो साक्षात् जोवाय तो अतिसुन्दर थाय । हिन्दी अनुवाद अथवा घूमते हुए मुझे किसी नगर में उस चन्द्रमुखी बाला का साक्षात् दर्शन हो जाये, तो अतिसुन्दर ( कार्य ) होगा। गाहा एवं विणिच्छियत्थो सो हं भो चित्तवेग ! चित्तगई ! | दइया - विओय-गुरु- दुक्ख वज्ज - निद्दलिय-मण सेलो ।। २२२ ।। संस्कृत छाया एवं विनिश्चितार्थः सोऽहं भोश्चित्रवेग! चित्रगतिः । दयिता- वियोग- गुरुदुः ख वज्र- निर्दलित- मनः शैलः ।। २२२ ।। गुजराती अर्थ ना भारे हे चित्रवेग ! आ प्रमाणे निश्चय करेला अर्थवाळी, तथा पत्निना वियोग दुःख रूपी वज्र थी भेदायेल मनरुपि पर्वतवालो तें हुं चित्रगति छु । हिन्दी अनुवाद हे चित्रवेग ! इस प्रकार निश्चित अर्थवाला, पत्नी के वियोग के दुःखात्मक वज्र से भेदा हुआ मन रूपी पर्वत वाला मैं चित्रगति हूँ। 308
SR No.525062
Book TitleSramana 2007 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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