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हिन्दी अनुवाद
अपने नगर की ओर सभी चलते हैं तब कन्या ने चालाकी से शीघ्र चित्रगति • के हाथ में से मुद्रारत्न ले लिया। गाहा
नियय-कर-संठियं पुण समप्पियं तस्स ताण पच्छन्नं ।
अह सा सज्झस-वेविर-देहा गंतुं पयट्टत्ति ।। १५९।। संस्कृत छाया
निजककरसंस्थितं पुनः समर्पितं तस्मै ताभ्यः प्रच्छन्नम् ।
अथ सा साध्वस-वेपनशील-देहा गन्तुं प्रवृत्तेति ।।१५९।। गुजराती अर्थ___वळी पोताना हाथ मां रहेल मुद्रारत्न स्त्रीओथी छूपी रीते तेने समर्पित करी भय थी कम्पता देहवाळी जवा माटे तैयार थई। हिन्दी अनुवाद
फिर अपने हाथ का मुद्रारत्न स्त्रियों से छूपकर उसे अर्पित करके भय से कम्पित देहवाली वह जाने के लिए तैयार हुई। गाहा
वलिय-ग्गीवं तीए अइगुरु-अणुराय-पिसुण-दिट्ठीए ।
निज्झाइओ तहा सो जह जाओ कुसुमसर-विसओ ।। १६० ।। संस्कृत छाया
वलितग्रीवं तयाऽतिगुर्वनुराग-पिशुन-दष्ट्या ।
निध्यातस्तथा स यथा जातः कुसुमशर-विषयः ।।१६० ।। गुजराती अर्थ
वळेली डोकवाळी तेणीस अत्यंत अनुरागपूर्वक चाडी खाती दृष्टि वड़े ते रीते जोयो, के जेवी रीते ते कामदेव नो विषय थयो। हिन्दी अनुवाद
युवति ने गर्दन को मोड़कर अत्यंत अनुराग युक्त दृष्टिपात उस जवान पर किया, जिससे वह कामदेव का विषय हो गया।
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