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गुजराती अर्थ
आ प्रमाणे मुनि भगवंते (देशना) उपदेश आप्ये छते केटलाकोर त्यां संयम ग्रहण कर्यु अने केटलाक श्रावक थया । तथा बीजा केटलाकोट सम्यक्त्वने स्वीकार्यु. हिन्दी अनुवाद
इस प्रकार मुनि भगवंत के उपदेश देने पर कई जनों ने संयम ग्रहण किया। कितने ही लोग श्रावक बनें, और कितने ही लोगों ने सम्यक्त्व को ग्रहण किया। गाहा
एत्थंतरम्मि पणमिय जलणपहो विन्नवेइ निय-पियरं ।
भयवं! पुणरवि रज्जं किं तं मह होज्ज नो अहवा? ।।९१।। संस्कृत छाया
अत्रान्तरे प्रणम्य ज्वलनप्रभो विज्ञापयति निजपितरम् ।
भगवन्! पुनरपि राज्यं किं तद् मे भवेद् नोऽथवा? ।।११।। गुजराती अर्थ
एटलीवार मां ज्वलनप्रय पोताना पिताने नमस्कार करी ने पूछे छे. हे भगवन्! वळी पण ते माल राज्य मने मळशे के नही? हिन्दी अनुवाद
इतनी देर में ज्वलनप्रभ ने अपने पिता को नमस्कार करके पूछा- हे भगवन्! मुझे मेरा राज्य पुनः मिलेगा या नहीं? गाहा
अह केवलिणा भणियं होही, तं कइय, पुच्छियमणेण ।
तो भणइ मुणि-वरिंदो केवल-विनाय-परमत्थो ।। ९२।। संस्कृत छाया
अथ केवलिना भणितं भविष्यति, तत् कदा, पृष्टमनेन ।
ततो भणति मुनिवरेन्द्रः केवल-विज्ञात-परमार्थः ।।१२।। गुजराती अर्थ
ज्वलनप्रब्ध थी पूछायेला केवली भगवते कहयुं, 'राज्य मळशे', त्यारे तेणे पूछा, 'क्यारे मळशे?' आधी केवलज्ञान वड़े जाणेला परमार्थवाळा . मुनिवरेन्द्र कहे छ।
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