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________________ कालिदास के नाटकों में प्रयुक्त प्राकृत के तद्धित प्रत्यय : ६५ केत्तिअ जाणे अप्पडिआरगरुअं वेअणं केत्तिअं३४ कालं मअणो मं णइस्सदित्ति। एत्तिअं एदस्स वदस्स अअं पहाओ जं एत्तिअं३५ वददि अज्जउत्तो। यह वि एत्ति चिंतणिज्ज। एत्तिएण एत्तिएण७ चिंतेहि दाव पिओ ण वेत्ति। एत्तिएहिं अलं एत्तिएहि कुसुमेहि। एत्तिअस्स अण्णहा कहं सो राएसी तारिसाणि मंतिअ एत्तिअस्स३९ कालस्स लेहमेत्तं पि ण विसज्जेदि? ३. केर प्रत्यय - प्राकृत में (उसका अथवा अमुक का - इस अर्थ में ) इदमर्थक प्रत्यय के स्थान पर केर आदेश होता है। कालिदास ने अपने नाटकों में कुछ ही स्थलों पर प्राकृत के इस प्रत्यय का प्रयोग किया है। उदाहरणार्थपरकेरअं परकेरअंति१ करि। ममकेरए ममकेरए २ उडए मक्कंडेअस्स इसिकुमारअस्स वण्णचित्तिदो मित्तिआमोरओ चिट्ठदि। ४. तण प्रत्यय - प्राकृत में त्व प्रत्यय के स्थान पर विकल्प से डिमा (इमा) तथा तण आदेश होते हैं। इन दोनों आदेश युक्त प्रत्ययों में से कालिदास ने अपने नाटकों में प्राकृत के केवल तण प्रत्यय का ही प्रयोग किया है। निम्नलिखित उदाहरण द्रष्टव्य हैअहिरामत्तणं पेक्खदु भवं वसन्तावदारसूइदं से अहिरामत्तणं४ पमदवणस्स। असंताणतणं असंताणतणं५ वज्जिय से ण किं वि सोअणीअम्। पहाणतणं जइ वि एवं तह वि राअपरिग्गहो पहाणतणं ६ उवहरदि। पहुत्तणं किंतु केवलं देवीए धारिणीए चित्तं रक्खन्तो अत्तणो पहुत्तणं ७ ण दसेदि। वल्लहत्तणं मन्दो वो उवआरो जं परिजणे सजन्तं वल्लहत्तणं ण जाणीअदि। रम्मत्तणं इमस्स मित्तिआमोरअस्स रम्मत्तणं ९ देक्ख त्ति भणिदो सि।
SR No.525061
Book TitleSramana 2007 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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