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प्रकाशित उपांग साहित्य : १३१
अच्छवास, संज्ञा, योनि, चरम, भाषा, शरीर, परिणाम, कषाय, इन्द्रिय, प्रयोग, लेश्या, कार्यस्थिति, सम्यक्, अन्तक्रिया, अवगाहना, संख्यान, क्रिया, कर्म, कर्मबन्धक, कर्मवेदक, वेदवन्धक, वेदवेदक, आहार, उपयोग, पश्यता, दर्शनता, संज्ञा, संयम, अवधि, प्रविचारणा, वेदना और समुद्धता। इन पदों का विस्तृत वर्णन महावीर द्वारा इन्द्रभूति गौतम के प्रश्नोत्तर के रूप में किया गया है। जिस प्रकार अंगों में 'भगवतीसूत्र' सबसे बड़ा है, वैसे ही उपांगों में 'प्रज्ञापनासूत्र' सबसे बड़ा है। प्रज्ञापना के प्रकाशित संस्करण निम्न हैं
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८.
मलयगिरिविहित विवरण, रामचन्द्रकृत संस्कृत छाया, परमानन्दर्षिकृत स्तवन के साथ, धनपति सिंह, बनारस १८८४.
६. पण्णवणासुत्तं (तीन भाग) मुनि पुण्यविजयजी, श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई, सन् १९७१.
प्रज्ञापना प्रदेश (उत्तर भाग ) - जैन पुस्तक प्रचारक संस्था सूर्यपुर, ई० सन् १९४९.
९.
मलयगिरि टीका, आगमोदय समिति, बम्बई सन् १९१८ - १९.
हिन्दी अनुवाद, अनुवादक - अमोलक ऋषि हैदराबाद, वी० सं० २४४५. मलयगिरि टीका गुजराती अनुवाद, अनुवादक- भगवानदास हर्षचन्द्र जैन सोसाइटी, अहमदाबाद, वि० सं० १९९१.
हरिभद्र विहित प्रदेश व्याख्या, ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेताम्बर संस्था तथा जैन पुस्तक प्रचारक संस्था, सन् १९४७, १९४९.
उवंगसुत्ताणि, खण्ड २, मूलपाठ एवं पाठान्तर तथा शब्द-सूची सम्पा०-युवाचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं, (राज०), ई० ० सन् १९८९.
आगमदीप, भाग-४, गुजराती अनुवाद, अनुवादक - मुनि दीपरत्नसागर आगमदीप प्रकाशन, अहमदाबाद, ई० सन् १९९७.
१०. आगमसुत्ताणि, भाग १४ मूलपाठ, सम्पा०- मुनि दीपरत्नसागर जी, आगमश्रुत प्रकाशन अहमदाबाद, ई० सन् १९९५.
११. आगमसुत्ताणि, भाग १०, मूल, निर्युक्ति, भाष्य, चूर्णि, वृत्ति, सम्पा० - मुनि दीपरत्नसागरजी, आगमश्रुत प्रकाशन, खानपुर, अहमदाबाद।