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________________ वर्ष ५८, अंक २-३ / अप्रैल-सितम्बर २००७ सिद्धांत कोष भाग १, पृ० ३४३ पर तथा जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास, भाग३, पृ० २३० पर ज्वालिनी-कल्प का उल्लेख है। इसमें ज्वालामालिनी देवी की स्तुति है। यह इन्द्रनन्दि के ज्वालामालिनी-कल्प से भिन्न है। इसकी एक हस्तलिखित प्रति सेठ माणिकचन्द जी, मुम्बई के संग्रहालय में होने की सूचना है। १७ ७. सरस्वती - मंत्र - कल्प यह भी मल्लिषेण की रचना है। ग्रन्थ के आदि और अन्त में इसका नामोल्लेख है । ग्रन्थ में 'सरस्वती कल्प' तथा 'भारती कल्प' इन दोनों नामों का भी उल्लेख है। इसमें कुल ७८ पद्य तथा बीच-बीच में कुछ गद्य भी हैं। यह 'भैरवपद्मावती - कल्प' में ग्यारहवें परिशिष्ट के रूप में प्रकाशित है। इसकी एक हस्तलिखित पाण्डुलिपि जैन सिद्धांत भवन, आरा के संग्रहालय में सुरक्षित है। " ग्रन्थ में कहा गया है कि सांख्य, मीसांसक, चार्वाक, सौगत और दिगम्बर ज्ञान प्राप्त करने के लिए सरस्वती की आराधना करते हैं। सरस्वती के प्रसाद से सांसारिक लोग कवित्व, वाग्मित्व, वादित्व आदि प्राप्त करते हैं। 3 : श्रमण, - ग्रन्थ में सरस्वती का स्वरूप, चिह्न, साधक, साधना योग्य स्थान, आसन, सकलीकरण, पीठस्थापन आदि के मंत्र तथा देवी का मूलमंत्र बतलाया गया है। आगे सिद्धि-विधान शान्तिक यंत्र, वश्य यंत्र, द्वादश रंजिका यंत्र, सौभाग्यरक्षा यंत्र आदि की लेखन एवं प्रयोग विधि का विवेचन है। सरस्वती की सिद्धि का प्रयोग वशीकरण, आकर्षण, विद्वेषण, उच्चाटन, मारण, शान्तिक, पौष्टिक आदि समस्त कार्यों में किये जाने का उल्लेख है। ८. कामचाण्डाली - कल्प यह मल्लिषेण की अद्भुत रचना है । ग्रन्थोल्लेख के अनुसार वे रचना करते समय सम्पूर्ण कृति को अपने मन में अंकित कर लेते थे, जिसे बाद में भूमि पर पत्थर से यथावत् लिपिबद्ध करते थे। इससे उनकी स्मरण शक्ति का वैशिष्ट्य प्रकट होता है। इसका रचना काल भी लगभग वि० सं० १११० स्वीकार किया गया है। २° इसका दूसरा नाम 'सिद्धायिका - कल्प' भी कहा जाता है। इसके प्रकाशित होने की जानकारी नहीं मिली है। डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री के अनुसार इसकी हस्तलिखित प्रति ऐलक पन्नालाल सरस्वती भवन, मुम्बई में उपलब्ध है| २१ ग्रन्थ पांच अधिकारों में विभाजित है - १. साधक २. देव का आराधन ३. अशेषजन - वशीकरण ४. यंत्र-तंत्र और ५. ज्वालागर्दभ लक्षण । ग्रन्थ में कामचाण्डाली की स्तुति करते हुए उसका स्वरूप इस प्रकार दिया गया है -
SR No.525061
Book TitleSramana 2007 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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