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________________ श्रमण, वर्ष ५८, अंक १ जनवरी-मार्च २००७ जैन - जैनेतर धर्म-दर्शनों में अहिंसा डॉ० श्यामकिशोर सिंह* अहिंसा मानव जीवन के आदर्श मूल्य एवं धर्म के रूप में प्रतिष्ठित है। अहिंसा के अर्थ की विकास-यात्रा किसी एक कालक्रम में न होकर मानव जाति के विभिन्न वर्गों में सामाजिक चेतना एवं जीवन के विविध रूपों के प्रति संवेदनशीलता के विकास के फलस्वरूप हुई है। जो वर्ग या समाज जीवन के विविध रूपों के प्रति जितना अधिक संवेदनशील बना उसने अहिंसा के अर्थ को उतना ही व्यापक अर्थ दिया। भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि विश्व के समस्त धर्मों में अहिंसा की अवधारणा किसी न किसी रूप में पायी जाती है। वैदिक परम्परा में उपनिषदों, महाकाव्यों, स्मृतियों एवं पुराणों में अहिंसात्मक विवेचन दृष्टिगत होते हैं। लेकिन अहिंसा के स्वरूप का जैन चिंतनधारा में जितना सूक्ष्म विवेचन हुआ है उतना शायद ही किसी अन्य चिन्तनधारा में किया गया हो। अहिंसा के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दो पक्ष हैं। अहिंसा का व्यावहारिक पक्ष जैन धर्म-दर्शन एवं समकालीन दार्शनिक चिंतक महात्मा गांधी के चिंतन में वृहत् स्तर पर देखने को मिलता है। अहिंसा की अवधारणा जीवन एवं जगत् से जुड़े होने के साथ-साथ जीवन के चरम लक्ष्य की प्राप्ति का साधन भी है। जैन धर्म में अहिंसा अहिंसा का अर्थ है- हिंसा न करना । अहिंसा का यह निषेधात्मक अर्थ है। अहिंसा का विधेयात्मक पक्ष भी है, यथा- दया, करुणा, प्रेम, दान, सेवा, सहानुभूति और सहयोग आदि। विधि और निषेध दोनों ही अहिंसा रूपी सिक्के के दो पहलू हैं। राग-द्वेष से युक्त प्रवृत्ति न करना, किसी जीव का प्राणघात न करना या फिर प्रवृत्ति मात्र का विरोध करना निषेधात्मक अहिंसा है, तो सत् प्रवृत्ति करना, स्वाध्याय करना, सेवा करना, उपदेश देना, ज्ञान चर्चा करना आदि आत्म हितकारी प्रवृत्ति विधेयात्मक अहिंसा है। यदि हम अहिंसा के केवल नकारात्मक पहलू पर ही विचार करते हैं तो अहिंसा का अधूरा विश्लेषण होगा। सम्पूर्ण विश्लेषण तभी सम्भव है जब अहिंसा के विधेयात्मक पक्ष पर भी उतना ही बल दिया जाए जितना कि निषेधात्मक पक्ष पर। व्याख्याता, दर्शनशास्त्र विभाग, अवध बिहारी सिंह महाविद्यालय, लालगंज, वैशाली, बिहार *
SR No.525060
Book TitleSramana 2007 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2007
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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