SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन साहित्य में शिक्षा का स्वरूप : ४१ पाठ्यक्रम वेद भारतीय साहित्य का सबसे प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है, अतएव वेदों का अध्ययन आवश्यक था। प्राचीन जैनसूत्रों में ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद इन तीन वेदों का उल्लेख मिलता है।१० वैदिक ग्रन्थों में निम्नलिखित शास्त्रों का उल्लेख है- छह वेदों में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, इतिहास (पुराण) और निघंटु, छह वेदांगों में संख्यान (गणित) शिक्षा, कल्प, व्याकरण, छन्द, निरुक्त और ज्योतिष : उपांगों में वेदांगों में वर्णित विषय और षष्ठितंत्र। उत्तराध्ययनसूत्र की टीका में निम्नलिखित चतुर्दश विद्यास्थानों को गिनाया गया है- छह वेदांग, चार वेद मीमांसा, न्याय, पुराण और धर्मशास्त्र।१२ इसके पश्चात् जैन आगमों में अर्वाचीन माने जाने वाले अनुयोगद्वार और नन्दीसूत्र में नीचे लिखे लौकिक श्रुत का उल्लेख किया गया है- भारत, रामायण, भीमसुरुक्ख, कौटिल्य (कोडिल्लय) घोटकमुख, सगडियिद्दिआउ, कप्पासिअ, णागसुहुम, कनकसप्तति (कणगसत्तरी), वैशिक (वेसिय), वैशेषिक (बइसेसिय), बुद्धशासन, कपिल, लोकायत,१४ षष्ठितन्त्र, माठर, पुराण, व्याकरण, नाटक, बहत्तर कलायें और अंगोपांग सहित चार वेद। नन्दीसूत्र में तैराशिक भगवान पातञ्जलि और पुरुषदेव का भी उल्लेख मिलता है। स्थानांगसूत्र ने नौ पापश्रुत स्वीकार किये है- १. उत्पात, रुधिर की वृष्टि आदि का प्रतिपादन करने वाला शास्त्र। २. निमित्त अतीतकाल के ज्ञान का परिचायक शास्त्र, जैसे कूटपर्वत आदि, ३. मंत्रशास्त्र, ४. आख्यायिका (आइक्खिय), मातंगी विद्या जिससे चांडालिने भूतकाल की बातें कहती हैं ५. चिकित्सा (आयुर्वेद) ६. लेख आदि ७२ कलाएँ ७. आवरण (वास्तुविद्या) ८. अण्णाण (अज्ञान) भारत, काव्य, नाटक आदि लौकिक सुत, ९. मिच्छापवयण (मिथ्याप्रवान) बुद्ध शासन आदि।१५ बहत्तर कलाएँ जैन सूत्रों में ७२ कलाओं की मान्यता है।१६ इनमें शिल्प तथा ज्ञान-विज्ञान की परम्परागत सूची दी गयी है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हर कोई इन सभी कलाओं में निष्णात होता था। बहत्तर कलाओं का वर्गीकरण निम्न रूप में किया जा सकता है।१७ - १. लेखन और पठन-पठन-लेख और गणित। २. काव्य जिसमें पोरकाव्य ३. रूपविद्या ४. संगीत ५. मिश्रित द्रव्यों के पृथक्करण की विद्या दगभट्टिय. ६. द्यूत ७. विविध प्रकार के लक्षण और चिह्न ८. शकुन विद्या में शकुनरुत ९. ज्योतिषविद्या १०. रसायन विद्या ११. वास्तुकला में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy