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________________ 214 : श्रमण, वर्ष 57, अंक 3-4 / जुलाई-दिसम्बर 2006 महासती श्री विजयश्री जी म.सा. 'आर्या' की पी-एच.डी. की मौखिक परीक्षा सानन्द सम्पन्न फरीदकोट, दि. ९.९.०६,आगम विज्ञाता पूज्या महासती श्री विजयश्रीजी म.सा. की पी-एच.डी. की मौखिकी परीक्षा हेतु पधारे पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रीडर डॉ. अरुण प्रताप सिंह एवं लाडनूं विश्वविद्यालय के रीडर डॉ. अशोक कुमार जैन का श्री संघ, फरीदकोट की ओर से सम्मान किया गया। फरीदकोट के प्रधान डॉ. सुभाष जैन के नेतृत्व में यहाँ के समस्त पदाधिकारियों ने इन महानुभावों का माला, शाल एवं प्रतीक चिह्न देकर स्वागत किया। महासती विजयश्रीजी ने आप लोगों को अपना साहित्य भेंट स्वरूप प्रदान किया। इस अवसर पर फिरोजपुर के प्रो. श्री नविस्तलालजी जैन ने महासतीजी की शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों की जानकारी दी। डॉ. अशोक कुमारजी जैन ने महासती जी के शोधकार्य की भूरिभूरि प्रशंसा करते हुए श्री संघ के सदस्यों को ऐसे दुर्लभ ऐतिहासिक ग्रंथ को प्रकाशित करवाने की प्रेरणा दी। डॉ. अरुण प्रताप सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं इस ग्रंथ को देखकर पहली बार में ही प्रभावित हो गया था। दस हजार श्रमणियों के योगदानों का संकलन कर महासतीजी ने एक अभूतपूर्व भेंट जिनशासन को दी है। महासती विजयश्रीजी म.सा. ने अपने शोधकार्य को डॉ. सागरमलजी जैन, निदेशक, प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर के कुशल निर्देशन एवं गुरुजनों के आशीर्वाद से सम्पन्न होना बताया साथ ही साध्वी जीवन के अनेक मुद्दों पर ऐतिहासिक दृष्टि से प्रकाश डाला। साध्वी प्रतिभाश्री जी ने अपनी गुरुणी के अथक परिश्रम लगन और इस मार्ग में आने वाली अनेक कठिनाइयों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525059
Book TitleSramana 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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