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जैन आगमों में शिल्प : एक दार्शनिक दृष्टि : १२७
ऐसा ही उल्लेख मिलता है।१९
ऊनी वस्त्र - पशुओं के बालों एवं रोमों से बने वस्त्रों का भी वर्णन मिलता है। 'आचारांग' में पशुओं के बालों से निर्मित ऊनी वस्त्रों को 'जंगिय' कहा गया है। 'निशीथचर्णि' में पाँच प्रकार के ऊनी वस्त्रों का उल्लेख मिलता है - मेसाणि (भेड़ के बालों से निर्मित ऊनी वस्त्र), उटणि (ऊँट के बालों से निर्मित ऊनी वस्त्र), मिगाईणाणि (मृग के बालों से निर्मित ऊनी वस्त्र), पेसाणि (चूहे, खरगोश जैसे जीव के बालों से निर्मित ऊनी वस्त्र) एवं पेसलाणि (विदेशी पशुओं के बालों से निर्मित ऊनी वस्त्र)।२०
धातु शिल्प - खानों और उनसे निकलने वाले खनिज पदार्थों के सम्बन्ध में प्राप्त सन्दर्भो से ज्ञात होता है कि आगम काल में खनन-क्रिया विस्तृत रूप से की जाती थी।२१ खान खोदने वाले श्रमिक 'क्षितिखनक' कहे जाते थे।२२ सोनाचाँदी, काँसा आगम-कालीन प्रसिद्ध धातुएँ थीं।२३ सोना-चाँदी जेवर बनाने के काम आता था, जबकि कांसा बर्तन बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता था२४ ताम्बा, लोहा, रांगा, टिन और सीसा जैसी धातुएँ आगमकाल में सुविख्यात थीं।२५
लुहारों द्वारा जनसाधारण हेतु दैनिक काम में आने वाले उपकरणों के साथ ही युद्ध में प्रयुक्त होने वाले विविध अस्त्रों का निर्माण किया जाता था। लुहारों द्वारा कुल्हाड़ी, फावड़ा२६, कैंची, सूई, छुरी२७ आदि के निर्माण के साथ-साथ मुद्गर, त्रिशूल, गदा, भाला, तोमर, बी, तलवार आदि अस्त्र-शस्त्र भी बनाए जाते थे।२८ आभूषण का प्रयोग भी व्यापक तौर पर होता था। जैन सूत्रों से ज्ञात होता है कि स्त्री एवं पुरुष दोनों ही आभूषण धारण करते थे। हार, कनकावली, रत्नावली, मुक्तावली, बाजूबन्द, अंगूठी, कुण्डल आदि विभिन्न आभूषणों का उल्लेख आगम ग्रन्थों से प्राप्त होता है।२९ अन्य आभूषणों में कुण्डल, मुकुट, चूड़ामणि, करधनी, मुक्ताहार, कर्णफूल आदि का भी उल्लेख बहुतायत रूप से प्राप्त होता है। आगम ग्रन्थों में बहुमूल्य रत्न एवं मणियों का भी उल्लेख मिलता है। हीरा, मूंगा, पन्ना, नीलम, स्फटिक, चन्द्रकान्तमणि, सूर्यकान्तमणि बहुमूल्य रत्न थे जिनका उपयोग सोना-चाँदी आदि धातुओं के साथ किया जाता था।३० 'कल्पसूत्र' में भी मूंगा, माणिक्य, शंख, कौड़ी आदि का उल्लेख प्राप्त होता
भाण्ड शिल्प • आगमिक युग में मिट्टी के पात्रों का सर्वाधिक उपयोग होता था। पुरातात्त्विक उत्खननों से अनेक मिट्टी के पात्रों की प्राप्ति के उद्धरण
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