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________________ संस्कृत छाया : मा मा साहसं एतदाचर हे भद्रे! समुत्सुका भूत्वा। स चैव ते भर्ता भविष्यति ननु 'चित्रवेग' इति ।। १७७।। गुजराती अर्थ :- हे भद्रे!तु उत्सुक थई ने आवु साहस ना कर! ना कर! ते चित्रवेग ज तारो पति थशे! हिन्दी अनुवाद :- हे भद्रे! तूं उत्सुकता से ऐसा साहस मत कर! मत कर! वह चित्रवेग ही तेरा पति होगा। गाहा : तत्येव लग्ग-दिवसे पाणिग्गहणं भविस्सई तेणं। अह सुंदरि! एत्थत्थे मा किंचिवि कुण विसायंति।।१७८।।युग्मम्।। संस्कृत छाया :तत्रैव लग्नदिवसे पाणिग्रहणं भविष्यति तेन। अथ हे सुन्दरि! अत्रार्थे मा किञ्चिदपि कुरु विषादमिति।।१७८।। युग्मम् गुजराती अर्थ :- तेज लग्नदिवसे तेनी साथे तारु प्राणिग्रहण थशे आथी हे सुन्दरि! आ विषयमां तुं जरा पण दुःखी ना था। हिन्दी अनुवाद :- वही लग्नमुहूर्त में तेरा उनके साथ पाणिग्रहण होगा, अत: हे सुन्दरी! इस विषय में तूं तनिक भी दु:खी न हो। गाहा: पाश बंधन मुक्त वयणाणंतरमेव हि तुट्टो से पासओ, तओ अहयं । तव्वयण-गलिय-सज्झस-सत्थ-सरीरा गया पासे।। १७९।। संस्कृत छाया : वचनान्तरं एव हि त्रुटितस्तस्याः पाशकस्ततोऽहम्। तद्-वचन-गलित-साध्वस-स्वस्थ-शरीरा गता पार्वे||१७९।। गुजराती अर्थ :- आकाशवाणी थया बाद तरत ज तेणीनो पाश तुटी गयो अने ते दिव्य वचन थी भयमुक्त अने स्वस्थ शरीरवाळी थयेली हुँ तेनी पासे जई शकी। हिन्दी अनुवाद :- आकाशवाणी के पश्चात् तुरंत ही पाश टूट गया, और उस दिव्यवचन से भयमुक्त और स्वस्थ हुई मैं उनके पास गई। गाहा : तत्तो सलज्ज-वयणा भणिया य मए न पुत्ति! तुह जुत्तं। एरिसमायरिउंजणणि-जणगमाईण-दुह-जणयं ।।१८०।। 194 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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